कुव्यवस्था Â भइया बड़ी कठिन डगर है शौचालय की..
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55155 बने शौचालयों में सिर्फ 16000 को मिले रुपये
कुव्यवस्था Â भइया बड़ी कठिन डगर है शौचालय की.. शौचालय निर्माण करा कर्ज में डूबे ग्रामीण जिले को मांग के अनुरूप नहीं मिला आवंटन 44 करोड़ की डिमांड मिले सिर्फ 10 करोड़ भभुआ नगर : स्वच्छता स्वच्छ जीवन के लिए एक अहम पहलू है. जबकि, घर में शौचालय का निर्माण स्वच्छता की पहली कड़ी है. […]
शौचालय निर्माण करा कर्ज में डूबे ग्रामीण
जिले को मांग के अनुरूप नहीं मिला आवंटन
44 करोड़ की डिमांड मिले सिर्फ 10 करोड़
भभुआ नगर : स्वच्छता स्वच्छ जीवन के लिए एक अहम पहलू है. जबकि, घर में शौचालय का निर्माण स्वच्छता की पहली कड़ी है. हालांकि, गरीबों के जीवनयापन के बीच एकाएक घर में शौचालय का निर्माण कराया जाना बड़ी समस्या बन गयी थी. अब जबकि, सरकार सहायता मिलने के प्रचार प्रसार व प्रशासनिक सामाजिक दबाव में कई गरीबों ने कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण करा लिया, तो उसके बाद सरकारी सहायता न मिलना उस परिवार के मुखिया के लिए गले की फांस बनता जा रहा है.
कई घरों में जिनकी आजीविका का साधन दिहाड़ी मजदूरी है और जैसे तैसे दो वक्त का चूल्हा जलता है. उन्होंने भी सरकार के इस अभियान को सफल बनाने के लिए कर्ज लेकर शौचालय तो बनवा लिया. मगर, अब रुपयों के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाये हुए हैं.
इस वर्ष 224832 शौचालय निर्माण का लक्ष्य हर घर में शौचालय हो व कोई भी व्यक्ति खुले में शौच न जाये. इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार ने विशेष मुहिम छेड़ रखी है, जिसमें शौचालय निर्माण कराने के बाद 12 हजार रुपये दिये जाने का प्रावधान है. जिले के आंकड़ों पर गौर करे तो इस वर्ष 224832 शौचालय के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 55155 शौचालय पूर्ण हो चुके हैं. लेकिन, इनमें मात्र 16100 लाभुकों को ही शौचालय के रुपये मिले हैं. हजारों लाभुक रुपये की आश में अब भी हर रोज प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय की दौड़ लगा रहे हैं. ऐसे में कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण उनके लिए मुसीबत बन गयी है.
विभागीय फेरबदल में भी अटका भुगतान शौचालय निर्माण हेतु जिला प्रशासन द्वारा कई कदम उठाये गये, जिसमें शौचालय निर्माण के इच्छुक लोगों को जागरूक करते हुए कई जगहों पर संसाधन भी उपलब्ध कराये गये. लेकिन, शौचालय निर्माण के बाद भी लाभुकों को रुपये के लिए दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही. जिला प्रशासन ने इस बार 44 करोड़ रुपये की डिमांड सरकार से की थी. लेकिन, मिले सिर्फ 10 करोड़ रुपये. वहीं, जब से यह योजना पीएचइडी विभाग से हस्तानांतरित होकर ग्रामीण विकास विभाग के जिम्मे आयी. उसके बाद भी कई लाभुकों का शौचालय निर्माण का पैसा अब तक नहीं मिला.
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