किंजर. लगभग डेढ़ सौ साल पहले टेकारी राज द्वारा किंजर पुनपुन नदी घाट पर छोटा सा सूर्य मंदिर बनवाया गया था. इसमें काले रंग की बेसकीमती पत्थर की भगवान भास्कर की सात घोड़े पर सवार प्रतिमा स्थापित थी. 70 के दशक में तस्कर गिरोह ने इस प्रतिमा को चोरी कर लिया. इसके बाद ग्राम पंचायत के तत्कालीन मुखिया स्वर्गीय राम इकबाल सिंह, मंदिर के पुजारी रामरतन मिश्रा, भगवान दास दलपति और रामराज सिंह ने वर्तमान प्रतिमा स्थापित करायी. वर्ष 1980 में स्थानीय निवासी गोपाल प्रसाद शौंडिक के नेतृत्व में पुराने जर्जर मंदिर को तोड़कर नया मंदिर बनवाया गया, जो वर्तमान स्वरूप में है. स्वर्गीय बिंदा बाबा ने मंदिर के विकास में योगदान देते हुए राम झरोखा और छोटा पक्का सीढ़ी का निर्माण कराया और शादी-विवाह की प्रथा शुरू करायी. इसके बाद से यह स्थान किंजर सूर्य मंदिर धाम के नाम से जाना जाने लगा. मंदिर धाम पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास और चैत्र छठ पर हजारों श्रद्धालु छठ व्रत करने पहुंचते हैं. श्रद्धालु अपने छोटे बच्चों का सर मुंडन करवाते हैं और छठ व्रत के दौरान घाट सेवन करते हैं. किंजर सूर्य मंदिर धाम न केवल आसपास के क्षेत्रों बल्कि जहानाबाद, तहता, नेहालपुर, कसमा और अंतर जिला के पालीगंज, नदहरी, चन्दौस, शकूराबाद आदि जगहों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. मंदिर प्रबंधन की ओर से विश्राम गृह, टेंट, रोशनी, पेयजल और डीलक्स शौचालय की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. इसके अलावा स्थानीय लोग और एनजीओ द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा और सुबह में चाय-बिस्कुट की व्यवस्था भी की जाती है. किंजर धाम में कार्तिक माह के दौरान स्वच्छ जल पर्याप्त मात्रा में प्रवाहित रहता है, जिससे श्रद्धालु छोटी-बड़ी वाहनों पर सवार होकर दूर-दराज से भी आते हैं.
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