जहानाबाद.
सदर अस्पताल में पीडियाट्रिक (शिशु रोग ) और स्त्री रोग (गायिनी ) में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए सोमवार को पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की एक टीम ने सदर अस्पताल का निरीक्षण किया. टीम का नेतृत्व पीएमसीएच के पीडियाट्रिक विभाग के प्रो डॉ हेमंत कुमार कर रहे थे. उनके साथ पीएमसीएच के रेजीडेंट डॉक्टर सहित अन्य लोग भी मौजूद थे. इनमें सिविल सर्जन डॉ देवेंद्र प्रसाद और सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ प्रमोद कुमार शामिल है. पीएमसीएच पटना की टीम ने सदर अस्पताल के फैब्रिकेटेड बिल्डिंग में बने जच्चा-बच्चा विभाग का काफी देर तक मुआयना किया. टीम ने यहां उक्त दोनों डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया और सदर अस्पताल के जच्चा- बच्चा विभाग में उपलब्ध सुविधाओं का मूल्यांकन किया. सीएस ने बताया कि दरअसल स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सदर अस्पताल में पीडियाट्रिक और गायिनी विभाग में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंस ( एनबीइएमएस) में आवेदन दिया था. इसके बाद एनबीइएमएस ने पीएमसीएच पटना की टीम को यहां उक्त कोर्स कोर्स शुरू करने की संभावना तलाशने के लिए भेजा है. पीएमसीएच पटना के पीडियाट्रिक विभाग के प्रो डॉ हेमंत कुमार के नेतृत्व में यहां सर्वेक्षण के बाद वह अपनी रिपोर्ट एनबीइएमएस को सौंपेंगे. अगर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव हुई तो यहां सदर अस्पताल में पीडियाट्रिक और गायिनी विभाग में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जा सकेगा. यह कोर्स एमबीबीएस के बाद किया जाता है. दरअसल एमबीबीएस करने के बाद किसी भी सब्जेक्ट में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उसे सब्जेक्ट में मास्टर डिग्री की जाती है. हालांकि उसे सब्जेक्ट के साधारण अध्ययन के लिए डिप्लोमा कोर्स किया जाता है. किसी भी बड़े मेडिकल कॉलेज में यह दोनों कोर्स उपलब्ध होता है, जहां एमबीबीएस के बाद उक्त कोर्स पूरा करने के बाद यूनिवर्सिटी की उन्हें डिग्री देती है, किंतु अगर जहानाबाद के सदर अस्पताल में डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जाने की अनुमति मिली तो उसके लिए एडमिशन की प्रक्रिया और परीक्षा के साथ-साथ डिग्री देने का काम भी नेशनल बोर्ड का एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंस यानी एनबीइएमएस के द्वारा ही किया जायेगा. इसके लिए कम से कम दोनों सब्जेक्ट में एक-एक सीट सदर अस्पताल को दिया जा सकता है या अगर टीम की रिपोर्ट में यहां उपयुक्त संसाधन व ज्यादा बेहतर बताया गया तो एक की जगह दो सीट पर भी एडमिशन मिल सकता है और उसकी पढ़ाई यहां शुरू की जा सकती है. अब तो यह सर्वेक्षण टीम की रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि पीडियाट्रिक और गायिनी में डिप्लोमा का कोर्स सदर अस्पताल में शुरू हो सकेगा या नहीं.
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