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Jehanabad : मरीजों को नहीं मिल पा रहा आइसीयू का लाभ

जिले के लोगों को आइसीयू की सुविधा नहीं मिल रहा है. जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में आइसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं है. गंभीर रूप से घायल और बीमार मरीजों को जब सदर अस्पताल इलाज के लिए लाया जाता है तो डॉक्टर के पास प्राथमिक उपचार के बाद उसे पीएमसीएच पटना रेफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता.

जहानाबाद. जिले के लोगों को आइसीयू की सुविधा नहीं मिल रहा है. जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में आइसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं है. गंभीर रूप से घायल और बीमार मरीजों को जब सदर अस्पताल इलाज के लिए लाया जाता है तो डॉक्टर के पास प्राथमिक उपचार के बाद उसे पीएमसीएच पटना रेफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. सदर अस्पताल का आइसीयू पिछले एक साल से बंद पड़ा है. अब तो उस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सदर अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग को गिराकर उसकी जगह मल्टीस्टोर नयी बिल्डिंग बनायी जा रही है. पिछले साल मुख्य बिल्डिंग को गिराने के बाद सदर अस्पताल को तो पीकू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है, किंतु अस्पताल में संचालित आइसीयू को शिफ्ट करने के लिए जगह नहीं मिली. जिसके कारण जिले का एकमात्र आइसीयू फिलहाल अस्तित्व में नहीं है. ज्ञात हो कि सदर अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग को गिराकर उसकी जगह नौ तल्ले की मल्टी स्टोर बिल्डिंग बनायी जा रही है. इसी कारण सदर अस्पताल की इमरजेंसी और वार्ड को पीकू वार्ड में शिफ्ट कर संचालित किया जा रहा है. अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में आइसीयू संचालित हो रही थी. पीकू वार्ड में जगह नहीं मिलने के कारण जिले का एकमात्र आईसीयू का संचालन ठप हो गया. पुराने भवन को गिराए जाने के बाद आइसीयू को शिफ्ट करने के लिए अभी तक कहीं भी जगह नहीं मिली है. जीएनएम भवन में पहले से ही सदर अस्पताल के कई विभाग संचालित हो रहे हैं. इस सब के अलावा सदर अस्पताल के फर्नीचर, बेड एसी गोदरेज सहित अन्य फर्नीचर को भी जीएनएम भवन कमरे में रक्खे गये हैं, क्योंकि पीकू वार्ड में पहले से ही बेड, फर्नीचर, गोदरेज वगैरह से सुसज्जित कर ही उसे स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर किया गया था. वहीं सदर अस्पताल विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से हमेशा जूझता रहा है, जिसके कारण अस्पताल में गंभीर रोगियों का इलाज नहीं हो पाता है. गंभीर रोग से पीड़ित मरीज और दुर्घटना में घायलों को पीएमसीएच भेजना चिकित्सकों की मजबूरी बन जाती है. सदर अस्पताल में आईसीयू का निर्माण बड़े तामझाम से किया गया था. चार बेड के इस आईसीयू में करोड़ों के इंस्ट्रूमेंट लगाये गये थे, किंतु विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में ऑपरेशन के बाद मरीज को रखने के काम में आता था या कभी कोई वीआइपी मरीज आईसीयू में रखे जाते थे. अब आइसीयू के लिए जगह नहीं मिली तो करोड़ों के मशीन वाले यह आईसीयू ऑपरेशन के बाद मरीज को रखने के काम में भी नहीं आ पा रहा है.

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