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Jehanabad News : जिले को साल भर में बाल विवाह मुक्त बनाने की पहल

पूरे देश में बाल विवाह को समाप्त करने के लिए भारत सरकार की 100 दिन की विशेष कार्ययोजना के तहत गैरसरकारी संगठन ग्राम स्वराज्य समिति घोसी (जीएसएसजी) ने जिले में बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की योजना बनायी है.

जहानाबाद. पूरे देश में बाल विवाह को समाप्त करने के लिए भारत सरकार की 100 दिन की विशेष कार्ययोजना के तहत गैरसरकारी संगठन ग्राम स्वराज्य समिति घोसी (जीएसएसजी) ने जिले में बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की योजना बनायी है. जीएसएसजी ने कहा कि वह साल भर के भीतर जहानाबाद को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए व्यापक अभियान चलायेगा. इस 100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान का उद्देश्य बाल विवाह के खिलाफ लक्षित रणनीति तैयार करना है. अभियान में स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक स्थल, विवाह में सेवाएं देने वाले पेशेवर और पंचायत एवं नगरपालिका वार्डों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. यह सुनिश्चित किया जायेगा कि बच्चों के खिलाफ इस सदियों पुराने अपराध को रोकने के लिए समग्र प्रयास हों. जीएसएसजी, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन नेटवर्क का सहयोगी संगठन है, जो देश में बाल अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय है. नेटवर्क के 250 से अधिक सहयोगी संगठन देश के 451 जिलों में बाल विवाह रोकने का काम कर रहे हैं. पिछले एक वर्ष में इस नेटवर्क ने देश में एक लाख से अधिक बाल विवाह रोके हैं. बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक वर्ष पूरे होने पर जीएसएसजी ने जिले में जागरूकता कार्यक्रम और शपथ समारोह आयोजित किये. जनसमुदाय को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों के बारे में भी बताया गया और समझाया गया कि बाल विवाह में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति को सजा हो सकती है. पिछले एक वर्ष में संगठन ने 543 बाल विवाह रोके हैं. यह 100 दिन का अभियान तीन चरणों में संपन्न होगा. पहला चरण 31 दिसंबर तक चलेगा और इसमें शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता फैलाने पर जोर रहेगा. दूसरा चरण एक से 31 जनवरी के बीच धार्मिक स्थलों, बैंक्वेट हॉल और विवाह सेवाओं पर ध्यान देगा. तीसरा और अंतिम चरण आठ मार्च तक चलेगा, जिसमें पंचायत, नगरपालिका और समुदाय स्तरीय भागीदारी को बढ़ावा दिया जायेगा. उम्मीद है कि जिले में बाल विवाह में उल्लेखनीय कमी आयेगी और बच्चों को सुरक्षित बचपन का अधिकार मिलेगा.

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