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Jehanabad News : बहनों ने भाइयों की सलामती और लंबी आयु के लिए रखा उपवास, की पूजा

भैयादूज के अवसर पर जिले भर में बहनों ने अपने भाई की सलामती और लंबी आयु के लिए उपवास रखा.

जहानाबाद. भैयादूज के अवसर पर जिले भर में बहनों ने अपने भाई की सलामती और लंबी आयु के लिए उपवास रखा. यम के प्रकोप से भाइयों को दूर करने के लिए बहनों ने गोधन कूटा और यमराज से अपने भाइयों को यम से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. भैयादूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, इसे यम द्वितीया भी कहते हैं. इस दिन बहन उपवास रखकर अपने भाइयों को अकाल मृत्यु से बचने और लंबी आयु के लिए गोधन कूटती है. इस दौरान यमराज से अपने भाइयों को यम के भय से मुक्त करने और उन्हें अकाल मृत्यु से बचाते हुए लंबी आयु की कामना करती है. इस अवसर पर बहनों ने एक जगह एकत्रित होकर गोबर से यम यामिनी सांप बिच्छू आदि की आकृति बनाकर पहले उसकी पूजा की और फिर उसे समाठ से कूटा और उन्हें अपने भाइयों से दूर रहने की हिदायत दी. इस दौरान मुरली की माला और रूई का कंगन बनाया तथा इसके साथ-साथ बजरी नारियल पान कसैली और मिठाई की पूजा की फिर उसे समाठ से छुआ कर कूटने की विधि पूरी की. इस दौरान बहनों ने परंपरागत गीत गाए और भाइयों की सुरक्षा और अकाल मृत्यु से बचाने की प्रार्थना करते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की. इसके बाद अपने भाइयों को घर पर बुलाकर उन्हें गोधन खिलाया और स्वादिष्ट भोजन व जलपान कराया. बहुत सी बहनों ने अपने भाइयों के घर जाकर उन्हें गोधन खिलाया. जो बहन आज के दिन अपने भाइयों को नहीं बुलाई लेकिन उनके यहां उनके भाई नहीं आ सके या वह अपने भाइयों के यहां जाकर उन्हें गोधन नहीं खिला सकी, वह दूसरे तीसरे या अंतर किसी दिन उनके यहां जाकर गोधन खिलाने का काम करेंगी. इस प्रकार बहनों के भाइयों के यहां जाने और भाइयों के अपनी बहनों के यहां आने का यह सिलसिला अब कई दिनों तक जारी रहेगा. बहने गोधन में अपने भाइयों को पूजा के दौरान कुटी गई बजरी पान केसली नारियल और मिठाई खिलानी है. इस दौरान अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उन्हें मुरली की माला और रुई के बनाए गए कंगन पहनाती है. भाई भी अपने बहनों को वस्त्र, आभूषण और यथा शक्ति पैसे देकर विदा करते हैं. भाई बहन के प्रेम का यह पर्व सनातन धर्म में प्राचीन काल से चला आ रहा है. पुराणों में भी भैया दूज और यम द्वितीया पर्व की चर्चा है. भगवान आदित्य के पुत्र यम और पुत्री यमुना में बहुत प्रेम था किंतु यम को अपने कार्य के कारण कभी अपनी बहन के यहां जाने का मौका नहीं मिलता था तो उनकी बहन यमुना ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपने भाई यम को अपने यहां बुलाया. उनके भाई यम अपने कार्य से फुर्सत नहीं मिलने के बावजूद अपनी बहन के प्रस्ताव को नहीं ठुकरा सके. यह का कार्य पृथ्वी पर आकर मृत्यु लोक में रह रहे मनुष्यों की आत्मा को ले जाना होता था. मनुष्य के कर्म के अनुसार उन्हें यातना दी जाती थी, उनका यह कार्य साल के किसी दिन नागा नहीं होता था, इसके बावजूद वह अपनी बहन के प्रस्ताव और प्रेम की अवहेलना नहीं कर सके और कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को अपनी बहन के यहां गए, जहां उनकी बहन ने उनकी खूब आदर सत्कार किया और भोजन कराया. भाई ने भी अपनी बहन को वस्त्र आभूषण और दक्षिणा देकर उन्हें प्रसन्न किया. इस मौके पर उनकी बहन यमुना ने अपने भाई से वरदान मांगा कि जो भी बहन इस दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपने भाई को प्रेम पूर्वक घर बुलाकर आदर सत्कार के साथ भोजन करावेगी उसे यह का भय नहीं रहेगा और अकाल मृत्यु नहीं होगी. यम ने अपनी बहन की प्रार्थना को स्वीकार किया और ऐसा करने वाले भाई बहनों को यम से मुक्ति का वरदान दिया, तब से भाई बहन के प्रेम के प्रतीक का यह गोधन का पर्व चला आ रहा है. रक्षाबंधन के बाद यह दूसरा अवसर होता है जब बहन अपने भाई की रक्षा और दीर्घायु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है और उन्हें अपने भाई के घर जाने का मौका मिलता है.

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