हुलासगंज
. प्रखंड के ऐतिहासिक दावथू गांव की प्राचीन धरोहरों ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान दर्ज करायी है. सोमवार को इंग्लैंड के लंदन से आई रिसर्च स्कॉलर्स की टीम ने गांव पहुंचकर सूर्य मंदिर, स्तूप और अन्य पुरातात्त्विक अवशेषों का विस्तृत अध्ययन किया. शोध दल की वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मी ग्रीव्स ने सूर्य मंदिर की स्थापत्य शैली की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा अनूठा निर्माण पहले कभी नहीं देखा. उन्होंने अनुमान जताया कि यह मंदिर और अन्य संरचनाएं लगभग छठी–सातवीं शताब्दी के हैं, जबकि यहां मिली कई प्रतिमाएं 12वीं सदी की प्रतीत होती हैं. उन्होंने धरोहरों के वैज्ञानिक संरक्षण और दस्तावेजीकरण की तत्काल जरूरत बताई. टीम की सदस्य फिओना बकी ने स्तूप की संरचना को आश्चर्यजनक बताते हुए कहा कि यह स्थल भारतीय पुरातत्व के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय अपने अंदर समेटे हुए है. वहीं साक्षी अहलावत ने कहा कि दावथू में पुरातात्त्विक संपदाओं का विशाल भंडार छिपा है, जिस पर आगे और शोध की आवश्यकता है. ग्रामीणों और विद्वानों ने शोध दल को मंदिर के इतिहास और सांस्कृतिक महत्ता से परिचित कराया. मौके पर उपस्थित वरिष्ठ पुजारी पं. परमानंद पाठक, श्याम नारायण सिंह, जिस्नु पांडेय सहित कई ग्रामीणों ने दावथू के गौरवशाली अतीत से जुड़े तथ्य साझा किए. शोध दल की सदस्य सुष्मिता नंदिनी ने कहा कि गांव में पुरातात्विक संभावनाएं बहुत अधिक हैं और यहां भविष्य में बड़े पैमाने पर उत्खनन एवं अध्ययन की जरूरत है. विदेशी शोधकर्ताओं के आगमन से ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिला और बड़ी संख्या में लोग स्थल पर जुटे रहे. शोधार्थियों ने दावथू को भारत भ्रमण का अविस्मरणीय अनुभव बताया.
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