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Jehanabad News : एनएच पर सूखे पेड़ों से मंडरा रहा खतरा, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

पेड़-पौधे जहां जीवनदायिनी माने जाते हैं, वहीं सूखे और सड़े हुए पेड़ जानलेवा बनते जा रहे हैं. अरवल-जहानाबाद एनएच 33 मार्ग पर ऐसे कई स्थान हैं जहां सूखे पेड़ किसी भी वक्त हादसों को दावत दे सकते हैं.

अरवल. पेड़-पौधे जहां जीवनदायिनी माने जाते हैं, वहीं सूखे और सड़े हुए पेड़ जानलेवा बनते जा रहे हैं. अरवल-जहानाबाद एनएच 33 मार्ग पर ऐसे कई स्थान हैं जहां सूखे पेड़ किसी भी वक्त हादसों को दावत दे सकते हैं. बावजूद इसके वन विभाग, जिला प्रशासन और निजी भूमि मालिकों की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. बरसात के मौसम में आंधी और तेज हवा की स्थिति में इन पेड़ों के गिरने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है. सड़क किनारे, गांवों के बीच और मुख्य सड़कों के किनारे खड़े इन सूखे पेड़ों के कारण राहगीरों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. स्थानीय लोगों की मानें तो मोथा गांव के पास ही सात से अधिक ताड़ के पेड़ पूरी तरह सूख चुके हैं. इन पेड़ों की लगभग सभी शाखाएं पहले ही तेज हवा में गिर चुकी हैं. अब मुख्य तना पूरी तरह सड़ चुका है और कभी भी बीच से टूटकर सड़क पर गिर सकता है. यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब सड़क पर स्कूल वाहन, यात्री बसें, कैदी वाहन और पैदल चलने वाले स्कूली बच्चे गुजरते हैं.

सदर अस्पताल से लेकर रोजा और प्रखंड कार्यालय तक एनएच 33 के किनारे करीब 16 सूखे पेड़ खड़े हैं. इनमें कई पेड़ ऐसे हैं जिनमें एक भी हरा पत्ता नहीं बचा है. विशेषज्ञों के अनुसार, जब ताड़ के पेड़ का ऊपरी भाग सूख जाता है तो वह मृत माना जाता है और उसका तना धीरे-धीरे सड़कर गिर जाता है. यदि समय रहते इन सूखे पेड़ों को नहीं हटाया गया, तो आने वाले दिनों में कोई बड़ा हादसा सड़क पर घट सकता है. आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वन विभाग और जिला प्रशासन को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए. वरना ये सूखे पेड़ कभी भी अनहोनी का कारण बन सकते हैं. इस संबंध में एनएच 33 के कार्यपालक अभियंता आरके आर्या ने कहा कि मौखिक रूप से वन विभाग को कहा गया है. लिखित देने पर हटाने का खर्चा मांगा जाता है.

सड़क सुरक्षा के लिए खतरनाक है सूखा पेड़

रोजा पर पेट्रोल पंप के पास वर्षों से सूखा शीशम पेड़ कभी भी गिर सकता है. उसी तरह एक प्राइवेट स्कूल के सामने दो पेड़ सूखे हुए हैं. उससे आगे बढ़ने पर एक और पेड़ सूखा हुआ है, लेकिन उसे कोई हटा नहीं रहा. जिले में सड़क सुरक्षा को लेकर हर महीने बैठक होती है. हर बार कहा जाता है कि सड़क किनारे से सूखे पेड़ हटाये जायेंगे, लेकिन सिर्फ बैठक तक ही सीमित रह जाता है.

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