जहानाबाद. शहर में पांच साल पहले जिला प्रशासन द्वारा प्रमुख चौक-चौराहों पर लगाये गये हाइ रेजोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे अब शोपीस बनकर रह गये हैं. वर्षों से यह कैमरे या तो खराब पड़े हैं या तार चोरी हो जाने के कारण बंद हो चुके हैं. इसके चलते शहर की निगरानी व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. पुलिस को अपराधियों को पकड़ने के लिए अब निजी दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरों पर निर्भर रहना पड़ता है. जिला प्रशासन ने काको मोड़, अरवल मोड़ और आंबेडकर चौक जैसे व्यस्ततम स्थानों पर कैमरे लगाये थे. शुरुआत में ये कुछ समय तक काम भी करते रहे, लेकिन समय के साथ तकनीकी खराबी, तारों की चोरी और रखरखाव के अभाव के चलते ये कैमरे निष्क्रिय हो गये. मरम्मत कर इन्हें दोबारा चालू किया गया लेकिन कुछ ही समय बाद फिर खराब हो गये. वर्तमान में शहर के अधिकतर सरकारी कैमरे बंद पड़े हैं. ऐसे में जब भी कोई आपराधिक वारदात होती है तो पुलिस को आसपास के निजी दुकानों के कैमरों की फुटेज खंगालनी पड़ती है, लेकिन इन कैमरों से भी सीमित मदद ही मिल पाती है, क्योंकि ये आमतौर पर दुकानों के अंदर लगे होते हैं और सड़क या आम राहगीरों की गतिविधियों को ठीक से कैद नहीं कर पाते. बुधवार को अरवल मोड़ के समीप एक महिला के साथ सुनियोजित ढंग से लूट की घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी. महिला अपने पिता के साथ टेंपो में सवार थी. टेंपो में पहले से सवार गिरोह के सदस्यों ने बैग को सीट के पीछे रखने के लिए बहला-फुसला कर रखा और फिर बैग काटकर उसमें रखे करीब दो लाख रुपये मूल्य के गहने और नकदी उड़ा ली. अपराधियों ने महिला को अरवल मोड़ के पास ऑटो से उतार दिया और फरार हो गये. घटना के बाद महिला और उनके परिजन सदमे में थे. स्थानीय लोगों की मदद से वे नगर थाना पहुंचे और काफी मशक्कत के बाद एफआइआर दर्ज करायी गयी. अब पुलिस अपराधियों की पहचान के लिए अरवल मोड़ के आसपास दुकानों में लगे निजी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है.
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