बेकार साबित हो रहे खर्च किये गये लाखों रुपये
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एनएच पर लगी आधी एलइडी लाइटें खराब
बेकार साबित हो रहे खर्च किये गये लाखों रुपये जहानाबाद : शहर का सौदर्यीकरण एवं रौशनी के पुख्ता प्रबंध करने की योजना के तहत एनएच 83 पर लगायी गयी एलइडी लाइटें काफी संख्या में खराब पड़ी है. इस मद में व्यय किये गये लाखों रुपये फिल्हाल निरर्थक साबित हो रहा है. तकरीबन 50 लाइटें ऐसी […]
जहानाबाद : शहर का सौदर्यीकरण एवं रौशनी के पुख्ता प्रबंध करने की योजना के तहत एनएच 83 पर लगायी गयी एलइडी लाइटें काफी संख्या में खराब पड़ी है. इस मद में व्यय किये गये लाखों रुपये फिल्हाल निरर्थक साबित हो रहा है. तकरीबन 50 लाइटें ऐसी है जिसने रौशनी देना बंद कर दिया है. वह हाथी की दिखावटी दांत की तरह सड़क किनारे टंगी हुयी है. शोभा की वस्तु बनी हुयी है. जिसका वर्तमान समय में कोई वजूद नहीं है. शाम होते ही एनएच का पश्चिमी किनारा अंधकार में रहता है. करीब 125 लाइटें एनएच के दोनेां किनारे पर लगायी गयी थी. महज कुछ ही दिनों के भीतर 50 से अधिक लाइटें खराब हो गयी है.
बुडको एजेंसी को दी गयी थी जिम्मेवारी : खबर के अनुसार शहर से होकर गुजरने वाली पटना गया एनएच 83 पर एक करोड़ छ: लाख से अधिक रुपये की लागत से 125 एलइडी लाइटें लगाने की जिम्मेवारी कार्यकारी एजेंसी बुडकों को दी गयी थी. बड़े ही ताम झाम के साथ लाइटें लगायी गयी.
जिलाधिकारी आवास से लेकर कारगिल चौक तक लाइटें लगायी गयी लेकिन इसके बीच के कुछ इलाकों को उपेक्षित छोड़ दिया गया. दलील दी गयी थी कि सड़क कम चौड़ी है. अरवल मोड से अस्पताल मोड तक लाइटें लगाने में भेदभाव बरता गया. कुछ माह पूर्व जब लाइटें लगी तो शुरूआती दौर में शहर की रौनक निखर रही थी. एनएच दुधिया रौशनी से नहा रहा था. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे लाइटों में गड़बड़ी होनी शुरू हो गयी.
विगत दो माह के भीतर आज स्थिति ऐसी है कि एनएच के पश्चिमी किनारे पर लगायी गयी लगभग 50 से अधिक लाइटों ने अपना वजूद खो दिया है. अब वे रौशनी नहीं देते.
गड़बड़ी चाहे जो भी हो लेकिन उसके सुधार की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है. बताया जाता है कि आवश्यक रख-रखाव के अभाव में तकरीबन 50 लाख रुपये की कीमत वाली लाइटों ने रौशनी देना बंद कर दिया है. इस दिशा में अधिकारियों का भी ध्यान शायद उस ओर नहीं है वरना कुछ ही माह पूर्व लगायी गयी कीमती लाईटों की हालत ऐसी नहीं होती. चौक-चौराहों पर यह चर्चा हो रही है कि बंद पड़ी लाइटों की गुणवता शायद ठीक नहीं है.
एक भाग में छाया रहता है अंधेरा-
जब लाइटें लगायी गयी थी तो शहर सचमुच सुंदर दिखता था. डीएम आवास से लगातार फीदाहुसैन मोड़ तक और दरधा नदी पुल से दक्षिण कारगील चौक समाहरणालय तक की सड़क पर पर्याप्त रौशनी रहने से लोगों को सहुलियत होती थी. रात में लोग सहज तौर पर एनएच पर आवागमन करते थे. लेकिन एक किनारे की सभी लाइटें बंद रहने से अंधेरा छाया रहता है. फिलहाल महिलाएं पैदल आने-जाने में संकोच महसूस करती है.
लोगों ने बंद पड़ी लाइटों को यथाशीघ्र दुरूस्त करा एनएच पर रौशनी की प्रर्याप्त व्यवस्था कराने की मांग कर रहे हैं. लोगों ने इस दिशा में नगर परिषद से मांग किया है कि गड़बड़ी को दुरूस्त करने में सार्थक कदम उठाया जाये. चुकी रख-रखाव की जिम्मेवारी परिषद के अधीन है.
शीघ्र किया जायेगा सुधार
विगत कुछ दिनों से एनएच के एक किनारे की लाइटें बंद है. कनेक्शन में फॉल्ट आ जाने के कारण लाइटें बंद है. फॉल्ट पकड़ने के लिए कामगारों को लगाया गया है. शीघ्र बंद पड़ी लाइटें दुरूस्त कर ली जायेगी.
अरूण कुमार, उपमुख्य पार्षद नगर परिषद
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