अरवल : सिविल सर्जन का आवास गोदाम में तब्दील हो गया है. सदर अस्पताल के साथ ही सिविल सर्जन को रहने के लिए आवास का भी निर्माण किया गया था. आवास का निर्माण में करीब 50 लाख रुपये खर्च किया गया.
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सीएस आवास बना गोदाम पुराना अस्पताल बना आवास
अरवल : सिविल सर्जन का आवास गोदाम में तब्दील हो गया है. सदर अस्पताल के साथ ही सिविल सर्जन को रहने के लिए आवास का भी निर्माण किया गया था. आवास का निर्माण में करीब 50 लाख रुपये खर्च किया गया. अस्पताल तो बन गया, लेकिन सिविल सर्जन को रहने के लिए आवास का निर्माण […]
अस्पताल तो बन गया, लेकिन सिविल सर्जन को रहने के लिए आवास का निर्माण तो किया गया, लेकिन आवास स्वास्थ्य विभाग को सौंपा नहीं गया, जिसके कारण उस आवास में कोई भी सिविल सर्जन नहीं रहे.
अभी सिविल सर्जन के लिए बने आवास में निर्माण कंपनी का गोदाम बना हुआ है. बगल में ही अभी एएनएम कॉलेज का निर्माण हो रहा है, जिसका निर्माण सामग्री उसी आवास में है. लाखों रुपये में बना सरकारी भवन का दुरुपयोग हो रहा, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के किसी पदाधिकारी के पास भवन की चाबी नहीं है.
पीएचसी के जर्जर भवन में रहने को मजबूर हैं सीएस
जिला बनाने के बाद सिविल सर्जन का भी पद सृजन हुआ. भोला प्रसाद पहले सिविल सर्जन नियुक्त हुए.
उसके बाद सिविल सर्जन के रहने के लिए वैकल्पिक आवासीय व्यवस्था के तहत अरवल पुराना पीएचसी में आवास की व्यवस्था की गयी, तब से लेकर अब तक जितने भी सिविल सर्जन अरवल में पदस्थापित हुए, उसी जर्जर भवन में ही रहना पड़ता है. 2011 में सदर अस्पताल का निर्माण किया गया था, तब से जिला में सिविल सर्जन की जिम्मेदारी भी बढ़ी.
इसी उद्देश्य से सिविल सर्जन के रहने के लिए सदर अस्पताल के बगल में ही आवास बनाया गया था, लेकिन आवास पूरी तरह नहीं बना. इस संबंध में सिविल सर्जन त्रिवेणी प्रसाद ने बताया कि आवास के लिए कई बार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा गया है, लेकिन किसी प्रकार के दिशा-निर्देश नहीं मिला.
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