जमुई. खैरा-सोनो मुख्य मार्ग पर स्थित सवाखन गांव के समीप मंगलवार अहले सुबह एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उस पर सवार तीन लोग घायल हो गये जबकि चालक को हल्की चोट आयी. घटना के बाद सभी घायल को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. घायलों में सिमुलतला निवासी बिमलेश झा, कोनिया गांव निवासी चंद्रिका सिंह, बरबीघा निवासी शिक्षक रंजीत कुमार शामिल हैं. घायल रंजित कुमार सोनो प्रखंड क्षेत्र के औराया-खपरिया प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर पदस्थापित हैं. शिक्षक रंजीत कुमार ने बताया कि सर्वोदय विद्या बिहार के निदेशक बिमलेश झा, ग्राम भारती सर्वोदय आश्रम सिमुलतला के अध्यक्ष चंद्रिका सिंह के साथ कार पर सवार होकर शिक्षा विभाग के एक कार्यक्रम में शामिल होने वैशाली जिला गये थे. वहां से देर रात सोनो लौट रहे थे. इसी दौरान सवाखन गांव के समीप कार का टायर अचानक ब्लास्ट हो गया और वाहन अनियंत्रित होकर सड़क किनारे दुर्घटनाग्रस्त हो गयी. इसमें हम तीनों घायल हो गये जबकि चालक को हल्की चोट आयी है. घायल विमलेश झा को बेहतर इलाज के लिये चिकित्सक ने पटना रेफर कर दिया गया.
घायलों ने सदर अस्पताल की व्यवस्था पर उठाया सवाल
-सड़क दुर्घटना में घायल के परिजनों ने सदर अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठाया है. घायल के परिजनों ने बताया कि हमलोग करीब तीन बजे सुबह सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष पहुंचे जहां न तो चिकित्सक मौजूद थे और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी. इसके बाद हमलोगों ने महिला जीएनएम का दरवाजा खटखटाया लेकिन दरवाजा नहीं खोला गया. परेशान हो कर हमलोगों ने रजिस्ट्रेशन रूम में सोये कर्मी को उठाया गया उनकी सूचना के बाद चिकित्सक आये और एक्स-रे लिखकर चले गये तब तक सभी घायल दर्द से कराहते रहे. सुबह 6 बजे एक्स-रे रिपोर्ट आने पर चिकित्सक के द्वारा बिमलेश झा को कंधा और चंद्रिका सिंह के घुटना के समीप फ्रेक्चर होने की बात कहकर हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास रेफर कर दिये. घायल बिमलेश झा ने बताया कि जब हमलोगों के साथ सदर अस्पताल में ऐसा व्यवहार किया गया तो सुदूर क्षेत्र से इलाज के लिए सदर अस्पताल आते होंगे तो उनके साथ क्या होता है.
इमरजेंसी कक्ष में सर्जन और आर्थोपेडिक डॉक्टर की रहती है जरूरत –
इमरजेंसी कक्ष में ड्यूटी पर मौजूद डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि इलाज में लापरवाही नहीं बरती गयी है. उन्होंने बताया कि इमरजेंसी कक्ष में सड़क दुर्घटना, मारपीट के मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है. इसलिए इमरजेंसी कक्ष में सर्जन और आर्थोपेडिक चिकित्सक को ही ड्यूटी पर लगाना चाहिए. लेकिन प्रबंधन के द्वारा इमरजेंसी कक्ष आयुष व एमबीबीएस चिकित्सक को भी ड्यूटी पर लगाया जाता है.इमरजेंसी कक्ष में जीएनएम पैसे लेने के बाद करते हैं काम –
खैरा प्रखंड क्षेत्र के हरियाडीह गांव निवासी घायल मुनेश्वर शर्मा के परिजनों ने भी सदर अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठाया. उन्होंने बताया कि सांड़ के हमले से मुनेश्वर शर्मा घायल जाने के बाद इन्हें लेकर सदर अस्पताल पहुंचे. ड्यूटी पर मौजूद पुरुष जीएनएम बिक्रम कुमार द्वारा जख्म में टांका लगाने को लेकर तीन सौ रुपये की मांग किया और जबतक पैसा नहीं दिया गया तब तक उनके द्वारा इलाज नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि हमलोगों ने रुपया देने से इंकार किया तो जीएनएम बिक्रम कुमार ने कहा कि टांका लगाने वाला धागा अस्पताल में नहीं है बाहर की दुकान से खरीदकर लाएं इसके बाद ही टांका लगाया जायेगा. लेकिन जब मजबूरन हमलोगों ने उन्हें पैसा दिया तो उन्होंने अस्पताल से धागा लेकर टांका लगा दिया. हालांकि इलाज के बाद मरीज के परिजनों ने इसकी शिकायत डॉ देवेंद्र कुमार से किया. उनके द्वारा फटकार लगाने के बाद जीएनएम के द्वारा पैसा लौटा दिया गया.
कहते हैं प्रबंधक –
अस्पताल प्रबंधक रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि इसकी जानकारी मुझे नहीं है. अब जानकारी हुई है तो इसकी जांच कर उचित कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने मरीज के परिजनों से अपील करते हुए कहा कि सदर अस्पताल में इलाज के बदले यदि पैसा मांगा जाता है तो इसकी शिकायत सिविल सर्जन डॉ अमृत किशोर, उपाधीक्षक डॉ सैयद नौशाद अहमद के साथ-साथ मुझसे करें. शिकायत के आलोक में कार्रवाई की जायेगी. चिकित्सकों के अनुपस्थिति के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कुछ भी बताने से परहेज किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है