बरहट . नौ साल का समय कम नहीं होता है. इस बीच सरकार बदली, पदाधिकारी बदले, कुछ योजनाएं भी बदल गयीं, लेकिन नहीं बदला तो अर्द्धनिर्मित व्यापार मंडल भवन का हाल. जी हां, नौ साल पहले नुमर पंचायत के बखारी गांव में सहकारिता विभाग की ओर से करीब 25 लाख रुपये की लागत से बनने वाला व्यापार मंडल गोदाम आज भी अधूरा पड़ा है. अधूरा भवन अब खंडहर में तब्दील हो चला है. निर्माणाधीन इस ढांचे ने अब ग्रामीणों के लिए विकास नहीं, बल्कि अनियमितता व लापरवाही को उजागर कर दिया है.
कई बार निर्माण कार्य बीच में ही रुक गया
ग्रामीणों का कहना है कि योजना की तीन तिहाई से अधिक राशि निकाली जा चुकी है. पूर्व पैक्स अध्यक्ष निरंजन मंडल के कार्यकाल में भवन की नींव रखी गयी और दूसरे चरण का काम शुरू हुआ. इसी दौरान 13 लाख रुपये से अधिक की निकासी भी हो गयी, पर निर्माण बीच में ही रुक गया. नेतृत्व बदलते ही कार्य पूरी तरह ठप हो गया. वर्तमान पैक्स अध्यक्ष वाल्मीकि यादव ने दोबारा काम शुरू कराया, लेकिन भवन अधूरा ही रह गया है.
जमीन दाता मुआवजे के इंतजार में
गोदाम निर्माण के लिए अपनी जमीन देने वाले पूर्व पंचायत अध्यक्ष आनंदी यादव वर्ष 2015 से आज तक मुआवजे के इंतजार में हैं. उनके अनुसार, सालाना 6000 रुपये देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक एक रुपया भी नहीं मिला. उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में ऐसी लापरवाही हुई कि पैसा निकलता गया और भवन आज भी अधूरा है. इससे पैक्स को अनाज स्टॉक करने में गंभीर दिक्कतें पैदा हो रही हैं.
व्यापार मंडल अध्यक्ष का दावा — योजना लगभग पूरी, सिर्फ तीन लाख बकाया
वर्तमान व्यापार मंडल अध्यक्ष वाल्मीकि यादव का कहना है कि योजना लगभग पूरी हो चुकी है और केवल तीन लाख रुपये का काम शेष है. उन्होंने बताया कि एसबेस्टर उड़ने की वजह स्पष्ट नहीं है, जल्द ही फिर से कार्य शुरू किया जायेगा.
ग्रामीणों ने उठाई जांच की मांग
स्थानीय ग्रामीण रवींद्र यादव, अरविंद यादव, बब्लू यादव समेत कई लोगों ने बताया कि भवन की दीवारों से प्लास्टर झड़ चुका है. छत की चादरें उखड़कर टूट चुकी हैं और गोदाम के चारों ओर घनी झाड़ियां उग आयी हैं. अंदर प्रवेश करना तक मुश्किल हो गया है. ग्रामीणों ने निर्माण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए तकनीकी और वित्तीय जांच की मांग की है. उनका कहना है कि 25 लाख रुपये की सरकारी योजना नौ साल बाद भी खंडहर बनी है, तो यह गंभीर लापरवाही का मामला है. दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
जांच कर कार्रवाई होगी
मामले की जानकारी नहीं है. यदि भवन निर्माण में अनियमितता या गड़बड़ी की गयी है, तो इसकी जांच करवायी जायेगी और आवश्यक कार्रवाई भी की जायेगी.
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