सोनो. आने वाले समय में सरकार की ओर से किसानों के लिए संचालित तमाम कृषि योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान पहचान पत्र की आवश्यकता होगी. भविष्य में उन्हीं किसानों को कृषि से संबंधित विभिन्न योजनाओं के लाभ मिलेंगे, जिनके किसान पहचान पत्र बने होंगे. योजनाओं के लाभ में भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से फार्मर आइडी बनवायी जा रही है. सोनो प्रखंड में दो गांवों सोनो और महेश्वरी से इसकी शुरुआत हो चुकी है. दोनों गांव में संबंधित कृषि समन्वयक, राजस्व कर्मचारी और किसान सलाहकार साथ मिलकर किसानों के पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया में लग गये है. ये आइडी डिजिटल होंगे लिहाजा टीम किसानों तक पहुंचकर प्रक्रिया कर रहे हैं. सोनो में कृषि समन्वयक सह नोडल पदाधिकारी रंजीत कुमार, राजस्व कर्मचारी नीरज कुमार पंडित और किसान सलाहकार परमानंद सिंह इस कार्य में लगे हुए हैं. कृषि विभाग में दर्ज पूर्व के आंकड़े बताते हैं कि सोनो गांव में 1092 किसान हैं, जो विभिन्न तरीके से सरकार द्वारा प्रदत्त कृषि सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं. कृषि समन्वयक रंजीत कुमार और राजस्व कर्मचारी नीरज कुमार बताते हैं कि भविष्य में किसानों के पास सरकार से मिलने वाली सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए फार्मर आइडी का होना आवश्यक होगा.
फायदे
किसान पहचान पत्र के फायदे को लेकर कृषि समन्वयक रंजीत कुमार बताते हैं कि बैंक से केसीसी ऋण या अन्य किसी तरह के अधिकतम 2 लाख तक के ऋण प्राप्त करने में किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी. केंद्र या राज्य सरकार से मिलने वाली योजनाओं के लाभ लेने में किसान पहचान पत्र की अहम भूमिका होगी. किसानों को आइडी की मदद से ही आर्थिक सहायता मिल सकेगी. भविष्य में सरकार यह आंकड़ा जुटा सकेगी कि किसान के पास कितनी जमीन और पशुधन है. कुल मिलाकर पहचान पत्र बनाने से सरकार की योजनाओं तक आसान पहुंच, कागज रहित फसल ऋण और टिकाऊ कृषि विकास को बढ़ावा मिलेगा.
कैसे और किनके बनेंगे पहचान पत्र
कृषि समन्वयक बताते हैं कि इस प्रक्रिया में जिनके नाम पर पहचान पत्र बनना है वैसे किसानों को स्वयं उपस्थित होना होगा, क्योंकि उनके फोटो के साथ ही उनके आंख के रेटीना को भी डिजिटली सेव किया जाता है. आधार कार्ड व उससे जुड़े मोबाइल नंबर की भी जरूरत होती है. अपने नाम के जमीन के खेसरा समेत जमाबंदी रसीद की जरूरत होती है. वर्तमान में यहां वैसे किसानों के ही पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया हो रही है जिनके नाम पर जमीन है. पिता या दादा के नाम की जमीन के आधार पर आइडी की प्रक्रिया नहीं हो पा रही है. आधार कार्ड और जमाबंदी में दर्ज नाम भी समान होने चाहिए. नाम में जरा भी विसंगति होने पर प्रक्रिया रुक जा रही है. इस डिजिटल प्रक्रिया के बाद डाक से किसानों तक पहचान पत्र पहुंच सकेगा.
कड़े नियम के कारण किसानों को परेशानी
पहचान पत्र बनाने के इस डिजिटल प्रक्रिया में वैसे किसानों का ही आइडी बनाना संभव हो पा रहा है, जिनके नाम से जमीन है. जिनके पिता या दादा के नाम से जमीन है और खुद के नाम पर जमीन नहीं है तब उनके आइडी की प्रक्रिया नहीं हो रही है. क्षेत्र में अधिकांश किसान ऐसे हैं, जिन्होंने खुद जमीन खरीदा ही नहीं और न ही पूर्वजों की जमीन अपने नाम पर ट्रांसफर करवाया. आज भी ये दादा-परदादा के नाम की जमीन में खेती कर रहे हैं. आइडी बनाने के वर्तमान नियम से बड़ी संख्या में किसान पहचान पत्र से वंचित हो जाएंगे. जानकार की मानें तो इस परिस्थिति में दस से पंद्रह प्रतिशत किसानों का ही आइडी बन सकेगा. इस परिस्थिति में अभी से ही नियम में शिथिलता लाने की मांग किसानों द्वारा उठने लगी है.
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