विनय कुमार मिश्र,
सोनो प्रखंड के दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित महेश्वरी में प्रसिद्ध बाबा लक्ष्मीनारायण मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को वार्षिक पूजनोत्सव पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. पूजनोत्सव पूरे भक्ति भाव और हर्षल्लास के साथ संपन्न हुआ. बुधवार को यहां आस्था, भक्ति, संयम और समर्पण का अनूठा संगम लगा. अध्यात्म की इस गंगा में डुबकी लगाने के लिए हजारों भक्त बाबा लक्ष्मीनारायण के दरबार में पहुंचे. श्रद्धालुओं का महेश्वरी जाने का जो सिलसिला सुबह से शुरू हुआ वह देर दोपहर तक चलता रहा. ऐसा लग रहा था जैसे जैसे हर रास्ता महेश्वरी को जा रहा हो. दोपहर होते होते भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. आसपास के दर्जनों गांव से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महेश्वरी पहुंचे जबकि दूरस्थ क्षेत्र से भी हजारों लोग बाबा को नैवेद्य अर्पित करने विभिन्न साधनों से महेश्वरी पहुंचे. भक्ति और आस्था के इस संगम में गोता लगाने को आतुर श्रद्धालु कतार में भी रहरहकर बाबा लक्ष्मीनारायण का जयकारा लगा रहे थे. जयकारा से पूरा गांव गूंजता रहा. बुधवार को विद्वान पंडितों द्वारा बाबा का षोडषोपचार पूजा की गयी, जिसके बाद मंदिर प्रांगण में ब्राह्मणों के द्वारा मन्त्रोच्चारण के साथ ध्वज का आरोहण पूरे विधि विधान के साथ किया गया. इस बीच सुबह से ही भगवान के समक्ष भजन-कीर्तन होता रहा. आरती व ब्राह्मण भोजन होते ही श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के द्वार खोल दिया गया. ध्वजारोहण के उपरांत श्रद्धालुओं द्वारा नैवेद्य चढ़ाने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह लगातार देर दोपहर तक चलता रहा. थाली, कटोरा, दोना आदि में दहियौरी, लडुआ, पकवान सहित अन्य नैवेद्य और तुलसीदल लेकर कतारबद्ध श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य को अर्पित करने में पूरा धैर्य दिखाया. कतार सही तरीके से लगा रहे, श्रद्धालुओं को कोई असुविधा नहीं हो और शांति के साथ पूजनोत्सव संपन्न हो इसके लिए पूजा समिति सदस्यों के साथ साथ पुलिस बल भी तैनात दीखे. मंदिर परिसर के अलावे अन्य जगहों पर भी विधि व्यवस्था बनाए रखने हेतु पुलिस बल तैनात थे. वाहन को गांव के भीतर ले जाने के बजाय गांव की सीमा पर बनाए गए पड़ाव में विभिन्न प्रकार के वाहनों का पड़ाव किया जा रहा था ताकि गांव के भीतर जाम की स्थिति नहीं हो और श्रद्धालुओं को आने जाने में असुविधा महसूस नहीं हो. पूजा के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी लेकन भीड़ संयमित था और भक्तिभाव से ओतप्रोत था.बाबा लक्ष्मीनारायण को है तुलसीदल और दहियौरी बेहद प्रिय
बाबा लक्ष्मीनारायण को दहियौरी और तुलसीदल बेहद प्रिय है जिस कारण सोमवार को भक्तों ने उनके प्रिय तुलसीदल, दहियोरी व फूल को उन्हें अर्पित किया और अपने परिवार के कुशलता की मिन्नते मांगा. बाबा के इस प्रिय नैवेद्य को बनाने से लेकर चढ़ाने तक में काफी पवित्रता बरती जाती है. अरवा चावल, गुड़ या चीनी व दही के साथ घी का उपयोग कर बड़े ही संयम और पवित्रता के साथ स्थानीय घरों में महिलाओं द्वारा बनाई जाती है. घर के हर सदस्य के अलावे बाहर से आए प्रत्येक लोग अपने हाथ में नैवेद्य लेकर मंदिर जाते है और पूरी श्रद्धा से उन्हें बाबा को अर्पित करते है. वैसे तो श्रद्धालुगण बाबा को लड्डू, पेड़ा, मिसरी व अन्य चीजें भी प्रसाद के रूप में अर्पित करते है लेकिन दहियौरी बाबा का प्रिय नैवेद्य है. इसी कारण महेश्वरी गांव के हर घर में जो चढ़ावा के लिए नैवेद्य बनता है वह दहियौरी ही होता है. इस नैवेद्य का विशेष महत्व है.ध्वजारोहण के साथ ही गांव में 24 घंटे तक नहीं जलेगा चूल्हा
अहोरात्रि वार्षिक पूजन के तहत बुधवार दोपहर में मंदिर प्रांगण में ध्वजारोहण होने के साथ ही अब गांव के किसी भी घर में 24 घंटे ले लिए चूल्हा नहीं जलेगा यानि किसी के घर भी खाना नहीं बनेगा. 24 घंटे बाद मंगलवार की दोपहर जब इस पवित्र आध्यात्मिक ध्वज का अवरोहण किया जाएगा तब घरों में लोग चूल्हा जलाएंगे और खाना बनाई जाएगी. इस बीच घरों में लोग दही चूड़ा और चना खाते है. यह परंपरा यहां पूजा के उद्भव काल से ही चला आ रहा है जो आज भी पूरी भक्ति भावना के साथ निभाई जाती है. ग्रामीण अपने घर आए अतिथियों को भी चूड़ा दही ही खिलाते है.गांव में निभायी जाती है आतिथ्य सत्कार की है अनूठी परंपरा
आध्यात्मिक महत्व को अपने में समेटे इस गांव महेश्वरी का इतिहास स्वर्णिम है. सैकड़ो वर्ष के अपने अस्तित्व को समेटे इस गांव की अपनी कई विशिष्टता और पहचान है. इन्हीं विशिष्टताओं में से एक है यहां का आतिथ्य सत्कार. इसकी झलक यहां होने वाले बाबा लक्ष्मीनारायण के वार्षिक पूजनोत्सव में भी देखने को मिलता है. कार्तिक पूर्णिमा को होने वाले इस अहोरात्रि पूजन के समय बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई न कोई ग्रामीण अपने घर ले जाकर न सिर्फ चढ़ावा के नैवेद्य प्रदान करते है बल्कि पूजा करके लौटने के उपरांत अपने घर में बड़ी श्रद्धा से दही चूड़ा भी खिलाते है. इस आतिथ्य में श्रद्धा इतनी अधिक होती है कि लोग मना नहीं कर पाते है. सैकड़ो घर वाले इस बड़े गांव में अधिकांश घरों में बाहर के दर्जनों श्रद्धालु दही चूड़ा ग्रहण करते है. सदियों से चले आ रहे इस स्वस्थ परंपरा के निर्वहन के लिए महेश्वरी के सक्षम निवासी आतिथ्य सत्कार के लिए कई दिन पूर्व से ही तैयारी में लग जाते है. दही के लिए कई दिन पूर्व से ही व्यवस्था के साथ ही चूड़ा, गुड़, चीनी और चना की बड़ी मात्रा में खरीदारी की जाती है. इस दिन आतिथ्य सत्कार कर हर ग्रामीण अपने को धन्य मानते है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

