जमुई (सिमुलतला): 1956 में जिस रिपोर्ट को दबाया गया था वही सच है, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मुखर्जी कमीशन बनाया था उस कमीशन ने भी वही रिपोर्ट दिया था, लेकिन उसे भी नकारा गया. नरेंद्र मोदी की सरकार में जब फाइल खुला तब यह स्पष्ट हो गया कि 18 अगस्त 1945 में नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी. उक्त बातें शनिवार को कोलकाता से सिमुलतला पहुंचे नेताजी सुभाषचंद्र बोस के भाई सुरेश चंद्र बोस के पौत्र सह नमो इंडिया भारत सामाजिक कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोमनाथ बोस ने पत्रकारों से बातचीत में कही.
सोमनाथ बोसने कहा कि अबतक मैं जितने भी प्रदेशों में गया सभी स्थानों पर सुभाष चंद्र बोस के प्रति लोगों में श्रद्धा व प्यार देखा. लेकिन, 23 जनवरी 1978 से पहले जब मोरारजी देशाई प्रधानमंत्री थे. उन्होंने संसद भवन में नेताजी की तस्वीर लगाकर माल्यार्पण किया और पाबंदी तोड़ी उससे पहले कोई भी सरकारी आॅफिस में उनकी तस्वीर लगाना वर्जित था. वर्तमान में नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर झंडा लहराकर आजाद हिंद फौज का सम्मान किया.
उन्होंने कहा, इससे पहले 1946 में जब आजाद हिंद फौज ने लाल किला में आत्मसमर्पण किया था. उसके बाद आजाद हिंद फौज के किसी सेना को कोई सम्मान प्रदान नहीं किया. भारत सरकार ने, कोई सरकारी नौकरी या अन्य सुविधा नहीं मिली, जबकि शत्रु देश पाकिस्तान की सरकार ने पाकिस्तानी आजाद हिंद फौज के सिपाहियों को सैना में बड़े पदों पर नौकरियां दी, सम्मान दिया. आखिर ये भेदभाव क्यों इनलोगों ने तो देश की खातिर अपनी प्राणों की आहुति दी, लड़ाइयां लड़ी. आजतक नेताजी के बारे में तरह तरह की बातें होती रही है लेकिन सरकार ने कभी यह अपना दायित्व नहीं समझा कि इनकी मृत्यु की वास्तविकता का पता लगाये. महात्मा गांधी से लेकर सभी देश भक्त जिन्हें नेताजी कहकर पुकारते थे. एक देवता की तरह पूरा देश जिनकी सेवा करते है. उनकी मृत्यु की रहस्य के पीछे इतनी लापरवाही क्यों.