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बिहार में अब 60 दिनों के भीतर रियल इस्टेट कंपनियों को देना होगा वार्षिक हिसाब, अप्रैल से लगेगा भारी जुर्माना

अब वर्ष 2020 के दौरान रियल इस्टेट कंपनियों व बिल्डरों द्वारा कितने निर्माण पूरे किये गये, किस प्रोजेक्ट की राशि कितनी खर्च हुई और आगे भविष्य में कब कितने प्रोजेक्ट पूरे हो रहे हैं, इनका वार्षिक हिसाब देना होगा.

अनिकेत त्रिवेदी, पटना. कोरोना महामारी के कारण केंद्र की ओर से रियल इस्टेट कंपनियों को दी गयी एक माह छूट की समय सीमा समाप्त हो गयी है. अब वर्ष 2020 के दौरान रियल इस्टेट कंपनियों व बिल्डरों द्वारा कितने निर्माण पूरे किये गये, किस प्रोजेक्ट की राशि कितनी खर्च हुई और आगे भविष्य में कब कितने प्रोजेक्ट पूरे हो रहे हैं, इनका वार्षिक हिसाब देना होगा.

छूट की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद एक फरवरी से लेकर मार्च तक सूबे के बिल्डरों को पूरी जानकारी रेरा को देनी होगी. दरअसल, राज्य में रियल इस्टेट कंपनियों, बिल्डरों को दिसंबर के अंत तक पूरे वर्ष भर का ब्योरा देना होता है, लेकिन केंद्र सरकार ने ब्योरा देने की समय सीमा में 31 जनवरी तक छूट दे रखी थी, जिसकी मियाद पूरी हो गयी है. रेरा के एक अधिकारी ने बताया कि एक-दो दिनों के भीतर इसका कार्यालय आदेश जारी कर दिया जायेगा.

पिछली बार कई कंपनियों पर लगा था जुर्माना

वर्ष 2019 के अंत में कई निर्माण कंपनियों ने रेरा को समय पर अपना वार्षिक हिसाब नहीं दिया था. करीब 70 प्रतिशत बिल्डर अपने समय से लेट थे. बाद में जनवरी माह से बिल्डरों पर पांच फीसदी का जुर्माना लगाना शुरू किया गया. कई प्रोजेक्टों पर रोक लगाने की कार्रवाई की गयी.

लगभग 700 कंपनियों के चल रहे प्रोजेक्ट

राज्य में लगभग 1350 निर्माण का निबंधन रेरा की ओर से किया जा रहा है. इसमें लगभग सात सौ के करीब रियल इस्टेट कंपनियां हैं. इन कंपनियों को अपना वार्षिक हिसाब दो तरह से देना होता है.

एक जानकारी प्रोजेक्ट के हिसाब से और दूसरी जानकारी कंपनी के हिसाब से देनी होगी. अब 60 दिनों का समय बीत जाने के बाद रेरा की ओर से निर्माण कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जायेगा. इसके अलावा कंपनी एक्ट के माध्यम से भी जुर्माना लग सकेगा.

दूसरी जगह पैसा लगा देते हैं बिल्डर

रेरा में आयी शिकायतों के अनुसार राज्य के बिल्डरों की ओर से एक बड़ी गड़बड़ी देखी जा रही है. कई बार रियल इस्टेट कंपनी किसी अपार्टमेंट निर्माण के लिए बुकिंग और काम के आधार पर ग्राहकों से पैसा लेती है और निर्माण को आधे पर रोक कर पैसा किसी और प्रोजेक्ट में लगा दिया जाता है. इससे बिल्डर नये प्रोजेक्ट को दिखा कर अन्य ग्राहकों से भी पैसे की वसूली कर लेते हैं.

गौरतलब है कि रेरा से निबंधित किसी प्रोजेक्ट की 70 फीसदी राशि उसके डेडिकेटेड खाते में रखना अनिवार्य है. चरणवार प्रोजेक्ट पूरा होने के हिसाब से संबंधित अधिकारियों का सर्टिफिकेट मिलने पर ही समय-दर-समय राशि निकाली जा सकती है. बिल्डर को हर तीन महीने पर रेरा को अनिवार्य रूप से बताना होता कि उनका प्रोजेक्ट कितना पूरा हुआ.

Posted by Ashish Jha

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