बिहार : वक्फ संशोधन बिल राज्यसभा से पास होने पर विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक, जनविरोधी और राजनीति से प्रेरित बताया है. वहीं, एनडीए के नेताओं ने इसे अल्पसंख्यकों के साथ ही देश के लिए एक बेहतरीन कदम बताया है. लेकिन इन सबसे अलग एक सवाल खड़ा होता है कि आखिर इस बिल को अभी क्यों पास कराया गया है और इसका बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा? अगर आप के भी मन में यह सवाल चल रहा है तो आपको इस आर्टिकल में सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा.

जेडीयू से हो सकता है मुस्लिम वोटरों का मोह भंग
केंद्र की मोदी सरकार के पास लोकसभा में अपने सिर्फ 240 सांसद ही है. लेकिन नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा हैं. इस वजह से उनके लोकसभा के 12 और राज्यसभा के 4 सांसद इस मुद्दे पर सरकार के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे. इतना ही नहीं जेडीयू ने तो बिल पर बहस से पहले ही अपने सांसदों को व्हिप जारी करके सदन में रहने के आदेश दिया भी था. यह सभी जानते हैं कि मुस्लिम मतदाता बीजेपी को आज भी वोट नहीं देते. लेकिन बिहार की सत्ता पर काबिज जेडीयू को जरूर वोट देते हैं. ऐसे में इस बिल का समर्थन करने से मुस्लिम वोटर उनका साथ छोड़ इंडिया गठबंधन को अपना वोट दे सकते हैं.

इंडिया ब्लॉक को हो सकता है सीटों का फायदा
बिहार में कई ऐसे जिले है, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. नीतीश कुमार के एनडीए में जाने और वक्फ बिल के मुद्दे पर साथ देने की वजह से वह इंडिया गठबंधन को वोट कर सकते हैं. ऐसे में जेडीयू को सीटों का नुकसान हो सकता है. हालांकि यह सिर्फ कयास है. क्योंकि बिहार की महिला वोटरों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अपनी अपील है जिनसे उन्हें वोट मिल सकता है.
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महिलाओं में हैं नीतीश कुमार की अपील
बता दें कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आधी आबादी में अच्छी पकड़ है. 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उन्होंने महिलाओं के विकास के लिए कई अहम योजनाएं चलाई. इसका असर साफ तौर पर दिखता है. चाहे छोटी बच्चियों को स्कूल जाने के लिए मुफ्त साइकिल देने की योजना हो या ग्रेजुएशन करने पर 50 हजार नकद राशि देनी हो. इन सब योजनाओं की वजह से नीतीश कुमार महिलाओं की पहली पसंद है और महिलाएं उन्हें वोट देती हैं.
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