हाजीपुर. वर्षों बाद एक बार फिर यहां के बीज उत्पादक किसान मौसम की मार से बेजार हो गये हैं. फूलगोभी बीज से देश-विदेश में हाजीपुर की पहचान कायम करने वाले बीज उत्पादकों पर इस बार मौसम की ऐसी मार पड़ी है कि 50 फीसदी से भी कम पैदावार होने जा रही है. भारी बरसात और खेतों में जल भराव के कारण समय पर फसल नहीं लग पायी. खासकर फूलगोभी बीज की अगात किस्म की रोपाई नहीं होने से करोड़ों रुपये की क्षति हुई है. इससे बीज उत्पादक किसानों में मायूसी है. हाजीपुर में तैयार किये जाने वाले फूलगोभी बीज न सिर्फ बिहार बल्कि झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पंजाब, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भेजे जाते रहे हैं. दशकों पहले यहां से विदेशों तक बीज का निर्यात होता था. नगर के चकवारा, लोदीपुर, मीनापुर, चौधरी बाजार, मड़ई, अंदरकिला के अलावा सदर प्रखंड के सेंदुआरी, हरिहरपुर, कुतुबपुर और बिदुपुर के खजवत्ता गांव में भी बीज उत्पादन होता है.
अगात किस्म के लिए प्रसिद्ध है चकवारा
नगर का चकवारा मुहल्ला अगात किस्म के फूलगोभी बीज के लिए देश भर में विख्यात है. अगात बीज की विशेषता है कि इसके पौधे लगाने के 45 से 50 दिनों के अंदर फूल तैयार हो जाते हैं. बाजार में पहले आ जाने से किसानों को ज्यादा लाभ होता है. अन्नदाता कृषक क्लब के सचिव संजीव कुमार बताते हैं कि चकवारा के किसानों द्वारा उत्पादित बीज से बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर ने सबौर अग्रिम प्रजाति विकसित की है, जिसे सेंट्रल वेराइटी रिलीज कमेटी ने भी अनुमोदित किया है. बिहार में फूलगोभी बीज की मात्र एक प्रजाति विकसित हुई जो सबौर अग्रिम वेराइटी के नाम से जानी जाती है. चकवारा में बीज व्यवसाय से लगभग 50 कृषक परिवार जुड़े हुए हैं. इस व्यवसाय में दो सौ से अधिक मजदूरों को काम मिलता है. किसान बताते हैं कि एक कट्ठे में 125 से 150 किलो गोभी निकलता है और पांच से 10 किलो बीज तैयार होता है. प्रति एकड़ में एक से दो क्विंटल बीज तैयार होता है और किसानों को केवल बीज से प्रति एकड़ एक से दो लाख रुपये तक की आय होती है.
नहीं लगा बीज प्रोसेसिंग प्लांट
फूलगोभी बीज उत्पादन के लिए जुलाई से अगस्त के बीच बिचड़े तैयार किये जाते हैं. सितंबर से पौधों के प्रत्यारोपण का काम शुरु होता है. अक्टूबर-नवंबर में फूल परिपक्व हो जाते हैं. तब इसके एक तिहाई भाग को काटकर फूलगोभी बीज तैयार किया जाता है. फरवरी से मार्च के बीच खेतों में बीज तैयार हो जाते हैं. इसके बाद फसल की कटाई शुरु हो जाती है. फसल काटने के बाद किसान बीज तैयार करते हैं. बीज प्रोसेसिंग प्लांट नहीं होने के कारण मैनुअल तरीके से किसान इस कार्य को अंजाम देते हैं. वर्षों पूर्व सरकार की घोषणा के बावजूद इस क्षेत्र में बीज प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना अब तक नहीं हो सकी.
हाजीपुर के बाद लालगंज बना बीज उत्पादन का हब
वैशाली जिले में अब हाजीपुर के बाद लालगंज भी बीज उत्पादन का दूसरा हब बन गया है. लालगंज प्रखंड के शाहपुर, पुरैनिया, समसपुरा, लालबसंता, कुशदे, करताहां, अमृतपुर आदि गांवों में बड़े पैमाने पर बीज उत्पादन होता है. हाजीपुर और लालगंज, दोनों क्षेत्रों में लगभग सौ-सौ एकड़ में फूलगोभी बीज का उत्पादन होता है. इससे हर साल करीब 100 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. इस बार मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है. बीज उत्पादकों का कहना है कि इस साल अधिक बारिश और इसके चलते काफी दिनों तक खेतों में जलजमाव रहने के कारण बिचड़े की रोपाई 50 से 60 प्रतिशत कम हुई है. इस बार बीज का उत्पादन आधा से ज्यादा घट जायेगा.
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