हाजीपुर. दुनिया के सबसे खतरनाक और ताकतवर कहे जाने वाले रूसी सैनिक बिहार की महिलाओं के बनाये हुउ जूते पहनकर यूक्रेन में युद्ध लड़ रहे हैं. माइनस 40 डिग्री सेल्सियस में भी रूसी आर्मी और रूस के सैनिक इस हाजीपुर के जूतों को पहन कर अपने सरहद की सुरक्षा करने के साथ ही दुश्मन देश के सैनिकों के छक्के छुड़ा रहे हैं. हाजीपुर के औद्योगिक क्षेत्र में कंपिटेंस एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक ऐसा जूता बना रही है, जिसे रूस की सेना पसंद करती है. इस फैक्ट्री में वर्ष 2018 से जूता तैयार होता है. यहां लगभग 200 से अधिक वर्कर काम करते हैं, जिनमें 70 प्रतिशत सिर्फ महिला कामगार हैं. यही महिलाएं रूस के सैनिक को पहनने वाली जूता बनाती हैं. कामगार बताते हैं कि माइनस 40 डिग्री का तापमान रूस में होता है और उस परिस्थिति में भी हाजीपुर का बना यह जूता अपना काम करता है. जूते के तलवे और सोल में अलग डिजाइन बनाया गया है, जिससे यह जूते हल्का और बिना स्लीपिंग वाला होते हैं. इसके साथ ही वह कड़ी ठंड के बीच भी अपना काम करता है और सैनिकों को काफी सहूलियत मिलती है. यहां के प्रबंधक बताते हैं कि यह फैक्ट्री यहां बने सामान रूस के लिए ही तैयार करती है. हाजीपुर के अलावे भी देश के अलग-अलग हिस्सों में जूता का प्रोडक्शन किया जाता है. यहां के लोकल वर्कर को बढ़ावा देने के फैक्ट्री यहां लगायी गयी है और ज्यादातर महिलाओं को मौका दिया गया है. यह कंपनी रूस के साथ-साथ यूरोप के एक और देश में भी अपना प्रोडक्ट सप्लाई करने की तैयारी में है. यहां का बनाया जूता सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर शत-प्रतिशत खरा उतरा है. यहां कारखाने में लेदर कटिंग से लेकर उसे जूतों के लिए उपयुक्त बनाने तक अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है. खास यह कि ठंड से बचाव के लिए जूते के ऊपरी हिस्से में फर लगाया जाता है. जूते के तलवे और सोल का अलग डिजाइन व अलग मैटेरियल है, जिससे जूते हल्के होते हैं और बर्फ में फिसलते भी नहींं. इसी कारण रूसी सेना से जूतों के आर्डर प्रतिवर्ष मिलते हैं। कंपनी के प्रबंधक ने बताया कि फैक्ट्री में लगभग तीन सौ कर्मी काम करते हैं. इनमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं. ये महिलाएं हाजीपुर और इसके आसपास की हैं. जिन्हें गहन प्रशिक्षण दिया गया है. सतत अभ्यास से इनका हुनर और निखर गया है. समाज की सभी वर्ग की महिलाएं यहां कार्य करती हैं और कमाई से परिवार का जीवनस्तर सुधार रही हैं.
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