हथुआ. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में डेढ़ करोड़ की लागत से हॉस्पिटल तो तैयार हो गया, लेकिन स्वास्थ्य सेवा के नाम पर डॉक्टरों की घोर कमी से जूझ रहा है. हम बात कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र में स्थित कुसौंधी का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का, जिस पर आसपास के पांच लाख से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की जिम्मेदारी है. उक्त अस्पताल को एक वर्ष पहले ही स्थानीय लोगों के लिए खोला गया, लेकिन यहां पर मात्र एएनएम के भरोसे स्वास्थ्य सेवा लोगों को उपलब्ध करायी जा रही है. अस्पताल के दो मंजिलें नये भवन में चमचमाते बेड तो उपलब्ध हैं, दवाइयां भी उपलब्ध हैं, पर नहीं उपलब्ध है, तो कोई डॉक्टर. महज एक डॉक्टर के भरोसे यह अस्पताल चल रहा है. अस्पताल में फिलहाल एक एएनएम तथा दो जीएनएम पदस्थापित हैं, जो अस्पताल को चला रहे हैं. पहले यहां एक लैब टेक्नीशियन भी था, जिसका तबादला कर दिया गया है. स्थानीय लोगों को छोटी-मोटी जांच के लिए भी अब लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. यह अस्पताल जो अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के नाम पर है, इसी से समझा जा सकता है कि साल भर होने के बावजूद आज तक इस अस्पताल में एक भी प्रसूता का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. नाम के लिए मामूली बीमारी से ग्रस्त करीब 50 से 60 लोगों के रोजाना इलाज का दावा किया जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां अगर प्राथमिक इलाज की जरूरत पड़े तो इस अस्पताल में संभव नहीं है. उन्हें निजी झोलाछाप डॉक्टरों की सेवा लेनी पड़ती है. अस्पताल में इलाज के लिए ग्रामीण लोगों का 9:00 बजे से आना शुरू हो जाता है. इस दौरान डॉक्टर के नहीं रहने से परेशानी होती है. सरकार द्वारा दी जाने वाली नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध हैं, जो लोगों को एएनएम की मेहरबानी से उपलब्ध हो रही है. इलाज के लिए आसपास के क्षेत्रों से आये मरीजों ने बताया कि वह सुबह से यहां पर बैठे हुए हैं. अभी तक डॉक्टर नहीं आये हैं. वही बिशनपुरा गांव से आयी सुभावती देवी ने बताया कि यहां महिला डॉक्टर नहीं हैं. इस संबंध में पूछे जाने पर तैनात डाक्टर ने बताया कि जो संसाधन है, उससे ही बेहतर सुविधा देन के लिए प्रयास किया जा रहा है.
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