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gopalganj news : किसानों के जख्मों पर माननीयों की चुप्पी, कर्ज में दबे अन्नदाताओं में आक्रोश

gopalganj news : सरकार ने मोंथा चक्रवात से बर्बाद हुई फसलों को मुआवजा देने का किया ऐलान, विभाग मानने को तैयार नहींमोंथा चक्रवात से जिले के 60 फीसदी धान की फसल हो चुकी है बर्बादकृषि विभाग के अधिकारियों ने विभाग को भेजी क्षति नहीं होने की रिपोर्टमाननीयों के स्तर पर भी नहीं उठाया जा सका सवाल, लाचार बने किसान

gopalganj news : गोपालगंज. अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में मोंथा चक्रवात ने जिले को झकझोर कर रख दिया था. इसका व्यापक प्रभाव आज भी धान की फसलों पर देखने को मिला.

विशेषकर खरीफ की तैयार फैसल इसकी चपेट में आने से बर्बाद हो गयी. जिले में 60 प्रतिशत से अधिक धान की फसल जगह-जगह खेतों में जलजमाव की वजह से बर्बाद हो गयी. किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. कृषि विभाग ने सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में क्षति का आंकड़ा शून्य भेज दिया. कहीं भी कोई अफसर खेतों को देखने तक नहीं गये और रिपोर्ट शून्य क्षति का चला गया. कर्ज की बोझ तले दबे अन्नदाताओं को इस बात का मलाल है कि जिनको अपने वोट से जीताकर सदन में भेजे, उनके द्वारा एक आवाज तक नहीं उठायी जा सकी.

सांसद, विधायक, मंत्री, विधान पार्षद की ओर से कृषि विभाग के उन अधिकारियों से यह भी नहीं पूछा गया कि बर्बाद हुई फसलों पर गलत रिपोर्ट कैसे भेजी गयी. बंगरा के किसान अजय दुबे ने बताया कि पांच बिगहा धान की फसल जैसे बाली लेकर निकली कि चक्रवात की बारिश में डूब गयी. पूरी बाली काली हो गयी. अब उस डंठल की कटाई के लिए तीन सौ रुपये कट्ठा मजदूर मांग रहे. दुकान से उधार खाद-बीज लेकर धान की रोपनी की थी. अब कहां से लाकर उधार चुकता करेंगे. रात की नींद हराम हो गयी है. खेतों में पानी लगने के कारण रबी की खेती पर भी प्रभाव देखने को मिल रहा है.

अन्नदाताओं ने पूछा- क्या यह बर्बादी अधिकारियों को नहीं दिखती?

कर्णपुरा के प्रशिक्षित किसान सुनील सिंह ने कहा कि पूरे इलाके में धान की फसल डूबी रही, जिसका खेत ऊंचाई पर था उनके खेतों में 80 किलो के बदले 20 से 30 किलो धान हो सका है. 60-70 फीसदी किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी है. यह बर्बादी जिले के अफसरों को क्यों नहीं दिखती? मटहिहनियां के किसान वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि अगर कोई भी अधिकारी खेतों की ओर आते, तो ऐसी रिपोर्ट नहीं जाती.

सरकार ने फसल क्षति का ऐलान किया मुआवजा

अब सरकार ने इसके पीड़ितों को अनुदान देने का फैसला किया है. इसके लिए आवेदन भी शुरू हो गया है. इसमें न्यूनतम 1000 से अधिकतम 45000 रुपये तक का अनुदान मिलेगा. इस योजना का लाभ वैसे किसानों को दिया जायेगा, जिनकी फसल का 33 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान हो गया है. ऐसे किसानों को असिंचित क्षेत्र में 8500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से भुगतान किया जायेगा. वहीं, सिंचित क्षेत्र के लिए 17000 रुपये दिये जायेंगे. बहुवर्षीय फसल के केस में यह राशि 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गयी है.

कुचायकोट का करा रहे दोबारा आकलन : डीएओ

जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार सुमन से संपर्क करने पर पहले उनके द्वारा क्षति मानने से इंकार कर दिया गया. जब उनको स्थिति बतायी गयी, तो उनके द्वारा कहा गया कि कुचायकोट ब्लॉक का दोबारा आकलन करा लेते हैं. 33 फीसदी क्षति होगी, तो मुआवजे के लिए रिपोर्ट करेंगे.

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