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gopalganj news : आलू की बोआई के लिए अब हो रहा लेट, अभी का तापमान बेहतर

gopalganj news : आलू की खेती पर संकट : मोंथा चक्रवात के कारण खेतों में धान की कटाई अभी जारीलेट वेराइटी की प्रजातियों की अभी की जा सकती है बोआई, मौसम पर रखनी होगी सतर्क नजर

gopalganj news : गोपालगंज. आलू की बोआई के लिए अक्तूबर मध्य से नवंबर का पहला सप्ताह सबसे उपयुक्त माना जाता है. हालांकि, इस साल मौसमी परिस्थितियां अलग हैं. देर तक बरसे माॅनसून और बदले मौसम की वजह से जिले के लगभग 70% खेतों में नमी व पानी जमा है.

कृषि विज्ञानियों के अनुसार 20 नवंबर के बाद आलू की बोआई में किसानों को मौसम पर सतर्क नजर रखने की जरूरत है. दिन का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान नौ डिग्री के ऊपर रहने तक आलू की बोआई की जा सकती है. इसी तरह, ज्यादातर किसानों ने अपनी आलू फसल की बोआई पूरी कर ली है, लेकिन अब भी कुछ किसान खेत तैयार कर अंतिम दौर की बोआई कर रहे हैं. सिपाया कृषि विज्ञान केंद्र की मुख्य विज्ञानी डॉ अनुपमा बताती हैं कि आलू की उन प्रजातियों की बोआई अभी की जा सकती है, जो देर से उगायी जाती हैं. अभी मौसम आलू खेती के अनुकूल बना हुआ है. ऐसे में किसानों को चाहिए कि वे आलू की खेती कर लें. अगर खेत तैयार नहीं है, तो आलू की बोआई घाटे का सौदा हो सकता है. लगातार तीन से चार दिन तक अगर दिन का अधिकतम तापमान 18 डिग्री से नीचे और रात का तापमान नौ डिग्री से नीचे रहता है, तब आलू की बोआई नहीं करनी चाहिए. यह मौसम आलू कंद बढ़ने का होता है.

लेट वेराइटी को जान लें

डॉ अनुपमा के अनुसार गोपालगंज क्षेत्र के लिए कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं. चिप्स बनाना, सामान्य उपयोग या जल्दी तैयार होने वाली फसल और रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर प्रजातियों का चयन किया जा सकता है. इसमें कुफरी बहार, कुफरी पुष्कर, कुफरी सिंदूरी, कुफरी चिप्सोना की खेती सबसे अच्छी है.

आलू की बोआई के लिए इन बातों का रखें ध्यान

– आलू बीज का वजन अगर 30 से 40 ग्राम का हो, तो उसे बगैर काटे लगाएं, उससे बड़ा आलू हो, तो काटें- बीज का ट्रीटमेंट जरूर करें, कार्बोडाइजीन या डाइथिन-एम 45 से 20 ग्राम प्रतिकिलो के हिसाब से बीज को धो लें. उसे हल्का सूखने के बाद लगाएं, इससे पौधे को झुलसा रोग से बचाया जा सकेगा.

– बोआई के लिए मिट्टी को बिल्कुल भुरभुरी बना लें.

– हरी खाद का प्रयोग जरूर करें.

– बोआई के समय एक हेक्टेयर में डीएपी 2.25 क्विंटल, म्यूरेट ऑफ पोटाश 1.6 क्विंटल, 20 से 25 किलोग्राम बोरान और कैल्शियम इस्तेमाल करें.

-ट्राइकोडर्मा चार से पांच किलोग्राम एक हेक्टेयर में देने से फंगस रोग नहीं होता.

-कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखकर बोआई करें.

– अभी खेतों में नमी है. नमी नहीं रहने की स्थिति में 15 दिनों पर हल्की सिंचाई की जरूरत होती है.

– सिंचाई के लिए ध्यान रखें कि एक क्यारी के अंतराल पर पानी दें, ताकि नमी बरकरार रहे- ठंड से बचाव के लिए भी आलू की फसल को सिंचाई की जरूरत होगी

– आलू के साथ मक्का लगाते हैं, तो सिंचाई के बाद मेट्राब्यूजीन 285 ग्राम प्रति एकड़ में स्प्रे करने पर बेहतर उपज लिया जा सकता है.

आलू की प्रमुख प्रजातियां

कम समय वाली प्रजातियां :

सिंदूरी, च्रदमुखी, अशोका, राजेंद्र 2, 3, कुफरी सुख्याति, कुफरी मोहन, कुफरी गंगा, कुफरी ख्याति.

मध्य समय लेने वाली प्रजातियां :

कुफरी बहार, कुफरी पुखराज, कुफरी संगम, कुफरी पुष्कर, कुफरी भास्कर, कुफरी किरण, कुफरी तेजस.

प्रसंस्करण वाली प्रजातियां :

कुफरी चिपसोना 1, 2, 3, 4, 5 और कुफरी चिपभारत 1, कुफरी चिपभारत 2, फ्राइसोना एवं फ्राइओम.

लाल रंग वाली प्रजातियां :

कुफरी रतन, कुफरी लोहित, कुफरी उदय, कुफरी सिंदूरी, कुफरी मानिक, कुफरी ललित, कुफरी लालिमा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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