उचकागांव. श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है, यह भगवान का वांग्मय स्वरूप है, जो जन्म-जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर प्राप्त होता है. ये बातें वृंदावन धाम से आये भागवत कथा वाचक आचार्य राघवजी महाराज ने कहीं. उन्होंने कहा कि हर मनुष्य को समाज में अच्छा काम करना चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि कर्म ही प्रधान है, बिना कर्म कुछ संभव नहीं होता है, जो मनुष्य अच्छा कर्म करता है उसे अच्छा फल मिलता है. बुरे कर्म करने वाले को बुरा फल मिलता है. इसलिए सभी को अच्छा कर्म ही करना चाहिए.
भागवत को सुनने से होता है पाप का नाश
उन्होंने कहा कि भागवत को सुनने से पाप नष्ट होता है. भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाये, तब भी तृप्ति नहीं होती. उन्होंने कहा कि भक्ति के दो पुत्र हैं, एक ज्ञान दूसरा वैराग्य. भक्ति बड़ी दुखी थी, उसके दोनों पुत्र वृद्धावस्था में आकर भी सोये पड़े हैं. वेद वेदांत का घोल दिया गया, किंतु वे नहीं जागे. भक्ति बड़ी दुखी थी कि यदि वे नहीं जागे, तो यह संसार गर्त में चला जायेगा. भागवत कथा पौराणिक होती है. नारद जी ने भक्ति सूत्र की व्याख्या करते हुए भी भक्ति को प्रेमारूपा बताया है. मीरगंज में कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया. श्रीमद्भगवत कथा का श्रवण करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. कथा 29 मार्च तक चलेगी. व्यवस्था में किशोर सोनी, बादल जयसवाल, मुकेश केसरी, नारायण केसरी, प्रेम केसरी, पवन गुप्ता, राजीव सोनी, स्नेहा देवी, मीरा देवी आदि लगे थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

