गोपालगंज. जीविका समूह बनाने के बाद ग्रामीण बैंक से अध्यक्ष का फर्जी साइन कर ऋण उठा लेने के मामले की जांच अब एलडीएम को करने का आदेश सौंपा गया है. यह आदेश शनिवार को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राधाकांत ने केस की सुनवाई के बाद दिया है.
प्रथम दृष्ट्या साइन में फर्जीवाड
़ापीठ ने माना है कि प्रथम दृष्टया साइन में फर्जीवाड़ा है, जिसे सूक्ष्मता एवं एक्सपर्ट से जांच की जरूरत है. मामला कोन्हवां ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक से जुड़ा है. एलडीएम के स्तर पर टीक गठित कर इसकी जांच करने को कहा गया है. सदर प्रखंड के पसरमा गांव की आशा देवी नामक महिला का दावा है कि वह अशिक्षित हैं. उनके नाम से बिना उनकी सहमति के वर्ष 2021 में उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक, शाखा कोन्हवा मोड़, ऋण खाता संख्या – 1009211330005877 में एक ऋण स्वीकृत कर लिया गया. यह ऋण जीविका के तहत आदर्श स्वयं सहायता समूह के नाम से स्वीकृत किया गया था. पांच लाख रुपये का ऋण फर्जी तरीके से स्वीकृत किया गया है, जिसमें कोई सहमति नहीं थी और उन्हें इस ऋण की पूरी जानकारी नहीं दी गयी. आशा देवी को कुछ जीविका कर्मियों ने यह कहकर बैंक ले जाया कि जीविका की ओर से पैसा आया है, जिसे निकालकर ले जाना है. जबकि वास्तव में उनके नाम पर पांच लाख का लोन स्वीकृत किया जा रहा था, जिसकी कोई सूचना नहीं दी गयी.
ऋण के प्रपत्र से लेकर निकासी फॉर्म पर मिले फर्जी साइन
बैंक के ऋण समझौते (लोन एग्रीमेंट) पर आशा देवी के वास्तविक साइन के साथ-साथ कई अन्य जगह पर उनके फर्जी साइन पाये गये हैं, जो कि ऋण समझौता पत्र पर देखने से साफ पता चलता है तथा विदड्रॉल स्लिप एवं जीविका के अधिकृत पत्र (अथॉरिटी लेटर) पर आशा देवी के फर्जी हस्ताक्षर हैं. यह स्पष्ट करता है कि बैंक एवं जीविका कर्मियों की मिलीभगत से यह फ्रॉड हुआ है. बैंक निष्पक्ष होताए तो वह सभी साइन का सत्यापन करता और फर्जीवाड़े को रोक सकता था.
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