gopalganj news : गोपालगंज. पाटलिपुत्र सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के विकास पदाधिकारी भवेश कुमार सिंह ने महज 11 वर्षों के नौकरी में काली कमाई से धनकुबेर बन गये. आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने उनके पासबुक से हुए लेन-देन का डेटा तैयार कर रिश्तेदारों से भी पूछताछ की.
परिवार के लोगों से भी गहराई से पूछताछ की गयी है. रिश्तेदारों के राडार पर आने के बाद हड़कंप मच गया है. जांच टीम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भवेश कुमार सिंह वर्ष 2014 में पाटलिपुत्र सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में स्केल-1 पर नियुक्त हुए थे. भवेश कुमार सिंह के आरएम इंटरप्राइजेज के नाम के पाटलिपुत्र सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में एक खाता पाया गया है, जिसमें वर्ष 2025 में 12 से 15 करोड़ का लेनदेन टीम को चौंका दिया है. छापेमारी में मिले 08 बैंक खातों में के अलावा भवेश कुमार सिंह के रिश्तेदार के नाम पर खोले गये बैंक खाते से संबंधित अभिलेख भी तलाशी के क्रम में बरामद हुये है, जिनमें जमा राशि के की जांच से उनके करीबियों की नींद हराम हो गयी है. कई रिश्तेदार तो भयभीत हो उठे हैं. आर्थिक अपराध इकाई की टीम शनिवार को भी गोपालगंज में गोपनीय तरीके से जांच में जुटी रही.बैंक से राशि गबन करने का दर्ज था कांड
जांच में खुलासा हुआ कि भवेश कुमार सिंह जो वर्ष 2014 में बैंक की सेवा में आये तथा वर्ष 2024 में प्रोन्नत होकर स्केल-3 के पदाधिकारी बने हैं. उनके द्वारा बैंक की राशि को गबन किया गया. उनके विरुद्ध नौबतपुर (पटना) थाने में गबन से संबंधित कांड सं-231/2019 दर्ज है, अब उस केस को भी आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने अपने स्तर से जांच शुरू कर दी है.कालेधन के तार की हो रही जांच
मांझा थाना क्षेत्र के साफापुर पंचायत के जलालपुर गांव के रहने वाले भवेश कुमार सिंह को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारी रहते हुए गांव के अलावा विशंभरपुर में पेट्रोल पंप के अलावा पटना से लेकर बिहटा तक अपना साम्राज्य खड़ा किया. कालेधन के तार की जांच हो रही है. कौन-कौन लोग उससे जुड़ा है, उससे भी पूछताछ की तैयारी में टीम जुटी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

