बरौली. बरौली प्रखंड की सभी आशा एवं आशा फैसिलिटेटर अपनी दो सूत्री मांगों को लेकर पांच दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन भी डटी रहीं. बुधवार को उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर अस्पताल के मुख्य गेट पर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शनकारी आशा ने बताया कि वे 24 घंटे सेवा में तत्पर रहती हैं, लेकिन इसके बदले मिलने वाला मानदेय न तो सम्मानजनक है और न ही उनकी मेहनत के अनुरूप. फिलहाल उन्हें मात्र एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जबकि आशा फैसिलिटेटर को 21 दिनों की ड्यूटी के लिए महज 500-500 रुपये मिलते हैं. उनकी मांग है कि आशा को प्रोत्साहन के रूप में 21 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाये, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें. उन्होंने कहा कि 24 अप्रैल को भी एकदिवसीय धरना देकर सरकार को चेतावनी दी गयी थी, लेकिन सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया. अब अगर पांच दिवसीय हड़ताल के बाद भी उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगी. धरने में आशा संघ की अध्यक्ष संगीता देवी, सचिव बबीता देवी, फैसिलेटर गुड्डी देवी, आशा राय, पुष्पा देवी, सीमा देवी, मंजूषा कुमारी, मीरा देवी आदि थीं.
सिधवलिया में स्वास्थ्य केंद्र में धरना आज
सिधवलिया. अपनी सात सूत्री मांगों के समर्थन में प्रखंड की सभी आशा पांच दिवसीय हड़ताल पर चली गयीं. आशा संघ की अध्यक्ष शिवप्रिया देवी ने बताया कि 2023 में मानदेय 1000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये करने का समझौता हुआ था, लेकिन अबतक आदेश जारी नहीं हुआ. छह माह से मानदेय का भुगतान भी लंबित है. आशा ने रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष करने और 10 लाख रुपये पैकेज सहित 21000 रुपये मासिक मानदेय की मांग की है. गुरुवार को स्वास्थ्य केंद्र में धरना होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है