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पति में ईश्वर भाव नहीं रखने वाली नारी के इहलोक और परलोक दोनों बिगड़ते हैं : डॉ रामाशंकर नाथ

स्थानीय प्रखंड के कांधगोपी गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन की कथा में कथा वाचक डॉ. रामाशंकर नाथ जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण व माता रुक्मिणी की विवाह की कथा सुनायी.

हथुआ. स्थानीय प्रखंड के कांधगोपी गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन की कथा में कथा वाचक डॉ रामाशंकर नाथ जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण व माता रुक्मिणी की विवाह की कथा सुनायी. विवाह की झांकी भी प्रस्तुत की गयी. उन्होंने कहा कि भगवान तो आदर्श बतलाते हैं कि सेवा करना पत्नी का धर्म है. पति में ईश्वर भाव नहीं रखने वाली नारी के इहलोक और परलोक दोनों बिगड़ते हैं. कलियुग में स्त्रियों और शूद्रों को मुक्ति जल्दी मिलती है. शूद्र आचार-विचार का पालन न करें और केवल राम-नाम लेता रहे, तो भी चलेगा किंतु ब्राह्मण को तो आचार-विचार का पालन करना ही पड़ेगा अन्यथा उसका पतन होगा. यदि स्त्री घर का काम और कुटुंब के सभी लोगों की सेवा करते-करते रामनाम लेती रहे, तो मंदिर में जाने की जरूरत नहीं रहेगी. जो मुक्ति योगियों को मिलती है, वहीं मुक्ति उन स्त्रियों को अनायास मिलेगी. पतिव्रता नारी तो अनसूया की भांति भगवान को भी बालक बना सकती है. प्रभु ने अपने सम्मुख आयी हुईं गोपियों को धर्मोपदेश दिया. स्त्री को बाहर जाने की जरूरत नहीं है. जो स्त्री घर में ही रहकर भलीभांति गृहिणी धर्म का पालन करती है, उसे पवित्र रहने की अनुकूलता रहती है. कथा के दौरान भाजपा नेता सुनील सिंह कुशवाहा, मुख्य यजमान राधाकृष्ण सिंह, सुजीत सिंह ,जवाहर सिंह पहलवान समेत अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे.

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