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अस्पताल को बीमार बना रही लावारिस लाश

लापरवाही. लाश को जब्त कर सदर अस्पताल में छोड़ देती है पुलिस भारत सरकार से आइएसओ प्रमाणित बिहार के मॉडल अस्पताल में लावारिस लाश को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. पुलिस भी लाश को जब्त कर अस्पताल में लावारिस हालत में छोड़ जाती है. गोपालगंज : लावारिस लाश सदर अस्पताल को बीमार बना रहा. […]

लापरवाही. लाश को जब्त कर सदर अस्पताल में छोड़ देती है पुलिस

भारत सरकार से आइएसओ प्रमाणित बिहार के मॉडल अस्पताल में लावारिस लाश को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. पुलिस भी लाश को जब्त कर अस्पताल में लावारिस हालत में छोड़ जाती है.
गोपालगंज : लावारिस लाश सदर अस्पताल को बीमार बना रहा. खुले में लावारिस लाश को बिना सुरक्षा का रख दिया जाता है. शव पहुंचते ही कुत्ता और कौआ मंडराने लगते हैं. नियमों का पालन करने में अस्पताल मरीजों को बीमार बना रहा है. आये दिन सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लावारिस शव को बेड पर ही छोड़ दिया जाता है. इस बार तो हद हो गया. अस्पताल के परिसर में खुले आसमान के नीचे लावारिस लाश को छोड़ दिया गया था. अस्पताल में भरती मरीज और उनके परिजनों पर भी संक्रमण का खतरा बना रहता है.
भारत सरकार से आइएसओ प्रमाणित तथा बिहार के दूसरे इस मॉडल अस्पताल में लावारिस शव को रखने के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं है. शव गृह होना चाहिए, लेकिन इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को जमीन नहीं मिल रहा है.
लाश से निकलती दुर्गंध अस्पताल में मरीजों को बना रही बीमार
अज्ञात लाश को 72 घंटे रखने का है िनयम
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद किसी भी लावारिस लाश को पोस्टमार्टम कराने के बाद उसकी पहचान के लिए 72 घंटे तक उसे सुरक्षित रखा जाता है. पहचान के लिए पुलिस चौकीदार व आसपास के लोगों से पूछताछ करती है. पहचान नहीं होने की परिस्थिति में मृतक की तसवीर लेकर उसका अंतिम संस्कार करा दिया जाता है.
थाने में रखना है पहचान के लिए शव
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ पीसी प्रभात का कहना है कि शव आने के बाद मृत्यु रिपोर्ट मिलने पर पोस्टमार्टम कराया जाता है. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस को पुन: शव को सौंप दिया जाता है. पुलिस को अपने थाने में पहचान के लिए 72 घंटे तक शव को रखना है. अस्पताल में लावारिस शव को रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.
रात में इमरजेंसी में होता है पोस्टमार्टम
अगर रात में किसी इमरजेंसी में पोस्टमार्टम कराना हो, तो इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है. अगर स्थिति पोस्टमार्टम कराने की बनती है, तो इमरजेंसी वार्ड में ही कराया जाता है. इमरजेंसी वार्ड के शल्य कक्ष में पोस्टमार्टम किये जाने से मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. मरीजों ने इमरजेंसी वार्ड में पोस्टमार्टम नहीं करने की कई बार शिकायत भी की है.
खुद लावारिस है शव दाहगृह
सदर विधायक सुबास सिंह ने मुक्ति धाम का निर्माण करवाया था. तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने इसका उद्घाटन किया था. लेकिन, उद्घाटन के बाद से यह चालू नहीं हो सका है. साफ-सफाई के अभाव में शव दाहगृह जंगल-झाड़ में तब्दील हो गया है. इस मुक्ति धाम में लोग दाह-संस्कार कराने से कतराते हैं. आज खुद लारवारिस हालत में शव दाहगृह पड़ा है.
शव वाहन भी महीनों से पड़ा है खराब
सदर अस्पताल में शव वाहन है, लेकिन मामूली फॉल्ट के कारण महीनों से खराब पड़ा है. शव वाहन से लावारिस लाश को लाने व ले जाने में कोई परेशानी नहीं होती थी. लेकिन, इस वाहन के खराब होने पर पुलिस को ठेला, रिक्शा व जुगाड़ गाड़ी से शव लेकर जाना पड़ता है. अस्पताल प्रशासन ने भी शव वाहन को चालू कराने के लिए अबतक कोई कदम नहीं उठाया है.
शवगृह के लिए नहीं मिल रही जमीन
शवगृह का बनना जरूरी है. इसके लिए शहर की आबादी से दूर जगह चाहिए, ताकि शव की दुर्गंध से किसी को संक्रमण न हो. पोस्टमार्टम हाउस भी बेहतरचाहिए. विभाग को इसके लिए लिखा गया है.
डाॅ पीसी प्रभात, अस्पताल उपाधीक्षक, गोपालगंज

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