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चैत्र नवरात्र शुरू, मंदिरों और घरों में कलश स्थापना :

गोपालगंज : चैत्र नवरात्र पर बुधवार को मंदिरों से लेकर घरों में कलश की स्थापना की गयी. सुबह 8.28 बजे प्रतिपदा लगने के बाद ही मंदिरों व घरों में कलश की स्थापना की गयी. इसके बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की उपासना हुई. श्रद्धालुओं ने उपवास रखा. मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं […]

गोपालगंज : चैत्र नवरात्र पर बुधवार को मंदिरों से लेकर घरों में कलश की स्थापना की गयी. सुबह 8.28 बजे प्रतिपदा लगने के बाद ही मंदिरों व घरों में कलश की स्थापना की गयी. इसके बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की उपासना हुई. श्रद्धालुओं ने उपवास रखा. मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही. मां के जयकारे भी गूंजते रहे.

श्रद्धालुओं ने मंदिरों में 16 शृंगार व प्रसाद चढ़ा कर परिवार की खुशहाली के लिए मन्नत मांगी. जनता सिनेमा रोड स्थित प्राचीन काली मंदिर में यहां पर सुबह 6.28 कलश स्थापना की गयी. मुहूर्त पहले से शुरू होने के कारण मंदिर में दोपहर तक श्रद्धालुओं की भीड़ रही. शाम को 5.30 बजे से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गयी. श्रद्धालुओं में मां काली के दर्शन की होड़ मची रही.

रात में काली मंदिर की भव्य सजावट देखने लायक थी. उसी तरह जादोपुर रोड स्थित दुर्गा मंदिर में विधि-विधान से गणेश पूजा के बाद कलश स्थापना हुई. श्रद्धालुओं ने मां को शृंगार, नारियल व प्रसाद चढ़ाया. सुभाष दिवाकर, शारदा यादव, सुमन यादव, सुमन गुप्ता, शिखा अग्रवाल, शशि प्रजापति समेत अन्य का सहयोग रहा. श्रद्धालुओं ने सुख-समृद्धि की कामना की. काली मंदिर रोड में स्थित मंदिर में शैलपुत्री की आराधना हुई. कलश की स्थापना के साथ ही पूजा-पाठ शुरू हो गया.
बरौली : बेलसंड पंचायत स्थित मां नकटो भवानी मंंदिर चैत्र नवरात्र में आस्था का महाकेंद्र बन गया है. नवरात्र शुरू होते ही भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ने लगी है. सुबह से ही दर्शन-–पूजन को लेकर महिलाओं का तांता लगा रहा. वहीं मंदिर परिसर में प्रसाद व फूल-माला की दुकानें सज कर एक दूसरे से बेहतर दिखने को बेताब हो गयी हैं. मंदिर में भक्तों की सुविधा को लेकर कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है, लेकिन आसपास के गांवों के युवक साफ-सफाई और सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर सजग हैं.
सीवान, छपरा, चंपारण सहित नेपाल से भी भक्त आकर मां के दर्शन कर मनवांछित मुराद जरूर पाते हैं. नकटो भवानी मंदिर का इतिहास पौराणिक है जनश्रुतियों के मुताबिक भक्त रहषु के बुलावे पर कामाख्या से चलने के बाद कोलकाता, पटना, आमी, मढ़ौरा के बाद मां ने देवीगंज में एक रात विश्राम किया था. माता जहां जहां रुकी, एक शक्तिपीठ का निर्माण होता गया. मान्यता है कि मां नकटो भवानी के दर्शन से हर मुरादें पूरी होती हैं.
पुजारी कृष्णा पांडेय और गोल्डेन पांडेय बताते हैं कि हर साल चैत्र नवरात्र एवं शारदीय नवरात्र में यहां बहुत बड़ा मेला लगता है. ग्रामीण बताते हैं कि शारदीय नवरात्र में लगनेवाला मेला लगभग 20 दिनों तक चलता है, जो लकड़ी के सामान के लिए प्रसिद्ध है.

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