गोपालगंज : चर्चित फिल्म सूर्यवंशम् की कहानी को यहां सच कर दिखाया है एक जीप के चालक ने. 1992 में मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद पैसे के अभाव में आगे की पढ़ाई नहीं हो पाया. सपना था कि डॉक्टर या इंजीनियर बनने का. घर की माली हालत ने ड्राइवरी करने पर विवश कर दिया, लेकिन इरादा पक्का और हौसला बुलंद हो तो मंजिल मिलती है. यह ड्राइवर दो दशक में चार बसों का मालिक और तीन बोलेरो, एक मैक्स तथा एक टाटा सफारी का मालिक बन गया है.
हम बात कर रहे हैं कुचायकोट थाना क्षेत्र के मैरवा करण गांव के रंजीत राय की. पिता लालता राय कोलकता की आइटीसी कंपनी में काम करते थे. तीन भाई तथ दो बहनों की परवरिश कर पाना उनके तनख्वाह से संभव नहीं था. 1992 में मैट्रिक की पढ़ाई के बाद नौकरी की तलाश की. जब नौकरी नहीं मिली, तो वह बलथरी के अमरेश शाही की जीप चलाने लगा.
उसने 2007 तक ड्राइवरी की बदौलत एक बोलेरो खरीदी. गोपालगंज से गोरखपुर तक खुद चलाने लगा. भाग्य ने भी साथ दिया. 2011 तक रंजीत सिंह के पास तीन बोलेरो और चार बसें हो गयीं. उसने गोपालगंज से गोरखपुर तक बसों को चला कर अपनी पहचान स्थापित की है. रंजीत सिंह ने एक छोटे घर से अपनी मंजिल को हासिल की है.
इनका मानान है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता है. छोटे काम में भी मेहनत और ईमानदारी हो तो सफलता मिलती है. रंजीत सिंह वैसे लोगों के लिए नजीर बने हैं, जो अपनी बदौलत कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखते हों. बेटों को अधिकारी बनाने का सपना रंजीत राय को खुद अधिकारी नहीं बनने का कोई मलाल नहीं.
अब उसका सपना है अपने बेटे राज, पवन, बेटी शिल्पी और खुशी को पढ़ा कर डॉक्टर, आइएएस बनाने का. बच्चों को बेहतर पढ़ाने के लिए गोपालगंज में किराये का घर लेकर अंगरेजी स्कूलों में दाखिला करा कर तैयारी करा रहे हैं. दो और बसों की है खरीदने की तैयारी रंजीत राय ने अपनी बदौलत अपने भाइयों को भी रोजगार दिया है.
एक भाई बसों के संचालन की देख-रेख करता है, जबकि दूसरा भाई घर पर खेती के साथ राइस मिल्स और आटा चक्की चलाता है. मार्च तक दो और बसों को खरीदने की तैयारी में है.