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सरकार के नश्चिय में कोई कंफ्यूजन नहीं, बंद होगी शराब

सरकार के निश्चय में कोई कंफ्यूजन नहीं, बंद होगी शराब शराब बंदी में जनसहयोग व महिलाओं के सहयोग की जरूरतशराब से कष्ट में हैं महिलाएं, बिगड़ रहा समाज, कुपोषण के शिकार हो रहे लोगसंवाददाता, पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर एक अप्रैल 2016 से शराब बंद का एलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा […]

सरकार के निश्चय में कोई कंफ्यूजन नहीं, बंद होगी शराब शराब बंदी में जनसहयोग व महिलाओं के सहयोग की जरूरतशराब से कष्ट में हैं महिलाएं, बिगड़ रहा समाज, कुपोषण के शिकार हो रहे लोगसंवाददाता, पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर एक अप्रैल 2016 से शराब बंद का एलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब बंदी को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं है. हो सकता है कि लोगों के मन में कंफ्यूजन हो, लेकिन सरकार के निश्चय में कोई कंफ्यूजन नहीं है. मद्य निषेध दिवस पर उन्होंने शराब बंदी की जो घोषणा की, उसका पालन करेंगे. विधानसभा की कार्यवाही के बाद उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि एक अप्रैल 2016 से नयी शराब नीति लागू करेंगे. शराब बंद करना चाहते हैं. असल चिंता गरीब लोगों की है. शराब उन्हें बर्बाद कर रहा है. इसकी वजह से महिलाएं ज्यादा कष्ट में हैं. इसकी वजह से समाज भी बिगड़ रहा है. जिस पैसे का उपलोग लोग शराब में करते हैं अगर उसका उपयोग खाने और अन्य दूसरे कामों में करेंगे, तो उसका उन्हें फायदा होगा. शराब बंदी को लेकर जनसहयोग और महिलाओं की सहयोग की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब बंद करने का निर्णय है. इसकी कार्ययोजना बनाने के लिए उत्पाद व निबंधन विभाग को कहा गया है. शराब कहां-कहां से आ सकता है? बहुत सारे दुकानों को अगले तीन-चार सालों के लिए जो परमिट दिया गया है, बोतल निर्माण के लिए जो एग्रीमेंट किया गया है, उसे देखते हुए पूरी विभाग कंप्रीहेंसिव पॉलिसी लायेगा. अगर ऐसा नहीं किया तो नयी शराब नीति लाने में ये लोग ही केस करेंगे और यह नीति लागू नहीं हो सकेगी. हालांकि यह लागू एक अप्रैल 2016 से होगा, लेकिन विभाग जनवरी 2016 तक पहला प्रस्ताव तैयार कर लेगा. जब इसका अंतिम स्वरूप होगा, तभी पूरी तौर पर इस पर कुछ कहा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि नयी शराब नीति की जो पॉलिसी बनेगी और ऐसी नीति बनेगी कि इसे लागू करने में कामयाब होंगे. हम जब विधायक नहीं थे उसी समय से शराब बंद करना चाहते थे. स्थिति यह है कि खुदरा दुकानों में पाउच में शराब बिकती है. हमलोग पहले अवैध शराब पर रोक लगा चुके हैं. शराब से गांव का गरीब सबसे ज्यादा पीड़ित होता है. अपने जो कमाता है उसका तो पीता ही है, पत्नी जो कमाती है उसकी कमाई भी शराब में उड़ा देता है. इससे उसके परिवार-बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं और शिक्षा भी नहीं हो पाती. सीएम नीतीश कुमार ने पिछले साल जुलाई महीने में जीविका के एक कार्यक्रम में उन्होंने घोषणा की थी कि फिर से सत्ता में आयेंगे तो शराब बंद करेंगे. विभाग जो कार्ययोजना तैयार कर रहा है, वह सभी पहलुओं पर ध्यान दे रहा है. सभी पहलुओं को देख कर ही नयी शराब नीति का एलान किया जायेगा. शराब नीति पर कई की तरह की बात आ रही है. जब अंतिम रूप से यह सामने आयेगा, तो किसी को खुशखबरी होगी अौर किसी को मायूसी हाथ लगेगी.

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