29.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

किसान पिता ने बेटे को बनाया डॉक्टर

किसान पिता ने बेटे को बनाया डॉक्टर पग-पग पर मिले कांटे भी नहीं रोक पाया मंजिल विपरीत हालात को नहीं बनने दिया शिक्षा में बाधक बेटे के एमबीबीएस बनने का पूरा किया सपनासंडे खासफोटो-16संवाददाता, पंचदेवरी सपने उनके पूरे होते हैं जिनके सपनों में जान होती है. केवल पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान […]

किसान पिता ने बेटे को बनाया डॉक्टर पग-पग पर मिले कांटे भी नहीं रोक पाया मंजिल विपरीत हालात को नहीं बनने दिया शिक्षा में बाधक बेटे के एमबीबीएस बनने का पूरा किया सपनासंडे खासफोटो-16संवाददाता, पंचदेवरी सपने उनके पूरे होते हैं जिनके सपनों में जान होती है. केवल पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान हाेती है. परिस्थितियां साथ नहीं दीं, पग-पग पर जीवन की राह में कांटे मिलते रहे. फिर भी मंजिल को रोक नहीं पाया. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है एक किसान नर्वदेश्वर पांडेय ने. पेशे से एक छोटा किसान आमदनी का स्रोत कुछ भी नहीं. पर, सोच आसमान छूने का. बुलंद हौसले की बदौलत अपनी मंजिल की राह पर चल पड़े. आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बाद भी जज्बा ऐसा कि बेटों के डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करने लगे. मेहनत ने रंग लाया और बेटे को एमबीबीएस बनाने में सफल हो गये. पंचदेवरी प्रखंड के रूपी बगही निवासी नर्वदेश्वर पांडेय ने विपरीत हालात में भी अपने इरादों को नहीं बदला. उन्होंने अपने बड़े बेटे अश्विनी कुमार की सात साल मेडिकल की तैयारी करायी. इसमें अश्विनी को कई बार असफलता भी हाथ लगी. लेकिन किसान पिता ने धैर्य नहीं खोया. कभी पटना, कभी लखनऊ तो कभी कोटा भेज कर बेटे को कामयाब बनाया. बुलंद हौसले और दृढ़ संकल्प के आगे विषम परिस्थितियों को भी नतमस्तक होना पड़ा. 2014 में बीसीइसी इ में 501 वां रैंक हासिल कर पिता के अरमानों की झोली खुशियों से भर दी. उसका नामांकन मेडिकल कॉलेज बेतिया में हुआ, जहां से वह एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. आज नर्वदेश्वर इलाके में प्रेरणा श्रोत बने हुए हैं. उनका मानना है कि धैर्य के साथ मंजिल की तरफ कदम बढ़ाने से एक दिन सफलता जरूर मिलती है. दूसरा बेटा भी कर रहा है तैयारी अपने दूसरे बेटे मनीष को भी डॉक्टर बनाना चाहते हैं. पिछले दो साल से वह लखनऊ में रह कर मेडिकल की तैयारी कर रहा है. डॉक्टर बन कर देश की सेवा करना चाहता है. आज भी नर्वदेश्वर अपने खेतों में काम कर बेटों की पढ़ाई के लिए हर कुरबानी देने को तैयार हैं. उन्होंने अपनी दो बेटियों अर्चना और रंजना को भी उच्च शिक्षा दिलायी है. परिश्रम की बदौलत बनायी पहचाननर्वदेश्वर पांडेय ने परिश्रम की बदौलत अपने बेटे को मुकाम दिलाया है. ये आज इलाके में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं. वे विपरीत स्थितियों में भी नहीं झुके. घर की जिम्मेवारी आयी, तो वे सहर्ष स्वीकार कर आगे बढ़ते चले गये. इनकी पूरी जीवनी युवाओं के लिए अनुकरणीय है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें