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मौसम की मार से धोबियों का कारोबार बेजार

गोपालगंज : मौसम की मार से धोबियों के कपड़ा धोने के कारोबार को भारी नुकसान पहुंच रहा है. जिले के अधिकतर तालाब और नदी सूख चुके हैं. धोबी घाटों पर पानी नहीं रहने के कारण कपड़ा धोने के व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी परेशानी हो रही है. अधिकतर के रोजगार छिन गये हैं. दाने-दाने […]

गोपालगंज : मौसम की मार से धोबियों के कपड़ा धोने के कारोबार को भारी नुकसान पहुंच रहा है. जिले के अधिकतर तालाब और नदी सूख चुके हैं. धोबी घाटों पर पानी नहीं रहने के कारण कपड़ा धोने के व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी परेशानी हो रही है. अधिकतर के रोजगार छिन गये हैं. दाने-दाने के लिए इनके परिवार जूझ रहे हैं.

पुश्तैनी कारोबार पर मौसम की मार ने सबको बेदम कर रखा है. शहर की अधिकतर लौंड्री भी बंद हो चुकी है. छाड़ी नदी ने छीन लिया रोजगार शहर के बीच से गुजरनेवाली छाड़ी नदी का पानी काला हो चुका है. प्रशासन की तरफ से आज तक नदी के मुहाने को हीरा पाकड़ गांव के पास नहीं खोला जा सका है. इसके कारण यह परिवार भर पेट भोजन के लिए तरस रहा है.

अधिकतर का कारोबार छाड़ी नदी पर ही टिका हुआ है.इन नदियों का सूख गया पानी सिपाया से निकलने वाली दाहा नदी यूपी से निकलने वाली झरही नदी यूपी से ही निकलने वाली खनुआ नदी यूपी से निकलने वाली सोन नदी बघवार से निकलने वाली घोघारी नदी परसौनी दियारे से निकलने वाली छोटी गंडकी महंगी हुई कपड़े की धुलाई गोपालगंज.

नदियों और तालाब के सूखने के कारण पानी के अभाव में जहां धोबियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया है, वहीं इस कारोबार से जुड़े कुछ लोग रोटी के लिए दिन-रात चापाकल पर कपड़ा धो कर अपना पेट किसी तरह भर रहे हैं. आसानी से पानी उपलब्ध होने के कारण चापाकल ही एक मात्र सहारा है. ऐसे में कपड़ों की धुलाई और आयरन करने के लिए मनमाना पैसे लिये जा रहे हैं.

शहर से लेकर गांव तक कपड़ों की धुलाई अब महंगी हो गयी है. एक नजर में कपड़ा धुलाई का रेटकपड़ा – पिछले माह – अब पैंट-शर्ट धुलाई – 24 रुपये 30 रुपयेसाड़ी की धुलाई – 30 से 40 45 से 60कंबल की धुलाई – 150-200 200 से 250कपड़े पर आयरन – 04 रुपये 06 रुपये एक नजर में हालात शहर में धोबियों की संख्या -396 ग्रामीण इलाकों में धोबियों की संख्या – 36,890 शहर में गुजरनेवाली नदी – छाड़ी नदी शहर में कुल तालाबों की संख्या – तीनगांवों में कुल तालाबों की संख्या – 2,410मनरेगा से बदल सकती है तसवीर मनरेगा योजना से ग्रामीण इलाकों के तालाबों को बेहतर बना कर धोबियों की तसवीर बदली जा सकती है.

धोबी घाटों को बेहतर बनाया जा सकता है. तालाब को गहरा बना कर ज्यादा पानी का संग्रह किया जा सकता है. इससे मनरेगा के मजदूरों को रोजगार सृजन का ज्यादा मौका मिलेगा. इन तालाबों में मछली पालन का कारोबार भी बेहतर हो सकता है. सिर्फ ईमानदारी से पहल करने की जरूरत है.

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