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अंधवश्विास में जकड़ा हमारा समाज

अंधविश्वास में जकड़ा हमारा समाज यहां आज भी भूतों से पीछा छुड़ाने के लिए लगता है मेला यूपी-बिहार समेत कई राज्यों से आते हैं मानसिक रोगी फोटो न. 16 फोटो न. 17फोटो न. 18फोटो न. 19 गोपालगंज. आधुनिक युग में हमारा समाज आज भी अंधविश्वास में जकड़ा है. अगर आपको देखना है, तो लक्षवार धाम […]

अंधविश्वास में जकड़ा हमारा समाज यहां आज भी भूतों से पीछा छुड़ाने के लिए लगता है मेला यूपी-बिहार समेत कई राज्यों से आते हैं मानसिक रोगी फोटो न. 16 फोटो न. 17फोटो न. 18फोटो न. 19 गोपालगंज. आधुनिक युग में हमारा समाज आज भी अंधविश्वास में जकड़ा है. अगर आपको देखना है, तो लक्षवार धाम में आएं. सीवान-गोपालगंज एनएच 85 पर स्थित लक्षवार धाम में नवरात्र में भूतों से पीछा छुड़ाने के लिए मानसिक रोगियों का मेला लगता है. नवरात्र में दूर-दराज से हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. कहा जाता है कि यहां आनेवाले श्रद्धालुओं पर मां की कृपा प्राप्त होने के साथ ही उनके दुख व रोग भी नष्ट हो जाते हैं. यही करण है कि ऐतिहासिक लक्षवार धाम में प्रेत बाधा से मुक्ति का धाम भी कहा जाता है. लक्षवार धाम में वैसे तो यूपी से लेकर बंगाल और नेपाल से लोग आते हैं. शारदीय नवरात्र में यहां गजब का नजारा देखने को मिलता है. कहीं औरतें जोर – जोर से सिर हिलाती हैं, तो कही कोई महिला पेड़ पर झूलती नजर आती है. राजा क्षत्रधारी ने दी थी जमीन लक्षवार धाम मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि हथुआ राज से पहले एक राजा क्षत्रधारी शाही थे और उनके पुरोहित थे रामाज्ञा पांडेय. ये आदी शक्ति जगदंबा की ही पूजा करते थे. राजा क्षत्रधारी ने रामाज्ञा पांडेय को पांच बीघा जमीन देवी स्थान के लिए दान में दी थी. उसी स्थान पर रामाज्ञा ने मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की और खुद ही मां की आराधना शुरू की. अब यहां नवरात्र, पूर्णिमा आदि मौकों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है.

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