भोरे : प्रतापपुर चीनी मिल को फिर से चलाने की घोषणा बजाज ग्रुप ने सोमवार को की है. हालांकि अभी तक छंटनीग्रस्त कर्मियों के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इस घोषणा से सीवान एवं गोपालगंज के 215 गांवों के किसानों को राहत मिली है. बजाज ग्रुप ने 26 जून को प्रतापपुर चीनी मिल बंद करने के पहले मिल में कार्यरत चार महाप्रबंधकों की छुट्टी कर दी थी.
उस समय किसानों ने आंदोलन कर मिल प्रबंधन को चेतावनी दी थी. उसके बाद भी मिल में कार्यरत कर्मियों को एक-एक कर हटाया जाने लगा. इधर, दस दिनों पूर्व मिल प्रबंधन ने अपने आखिरी कर्मी को हटाने का फैसला करते हुए मिल में ताला जड़ दिया. इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दल एवं किसान संगठनों ने मिल का ताला तोड़ कर विरोध जताया था. क्या कहा था बजाज ग्रुपमिल बंद करने के पीछे बजाज ग्रुप का तर्क था कि चीनी का समर्थन मूल्य लागत से काफी कम है.
इससे कंपनी को घाटा उठाना पड़ रहा है. वहीं, किसानों ने इस मामले में पीएमओ से हस्तक्षेप करने की मांग की थी. बाद में यूपी सरकार ने एक टीम गठित कर मिल की जांच के लिए भेजी थी. टीम ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को बताया था कि मिल पूरी तरह ठीक है. उसे इस पेराई सत्र में चलाया जा सकता है.
यूपी सरकार से बातचीत के बाद बजाज ग्रुप ने मिल चालू करने की सहमति जता दी. आंदोलन पर डटे किसान संगठनों को मिल बजाज ग्रुप के कुशाग्र बजाज ने पत्र लिख कर मिल शुरू करने पर सहमति जतायी है. इसकी जानकारी देते हुए मिल प्रबंधन, कमेटी के सदस्य एवं भोरे किसान संघ के अध्यक्ष ददन तिवारी ने बताया कि मिल को चालू करने का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन कर्मियों को पुन: बहाल करने के संबंध में कोई बात नहीं की गयी है.