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पाञ्चजन्य में जान बूझकर लिखा लेख : डॉ रघुवंश

पाञ्चजन्य में जान बूझकर लिखा लेख : डाॅ रघुवंश गोवध पर भावना भड़काने के लिए छापा लेख संवाददाता,पटनाराजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा रघुवंश प्रसाद सिंह ने पाञ्चजन्य में गोवध को लेकर छपे लेख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसे जान-बूझकर लिखा गया है. उन्होंने कहा कि या तो लोग वेद या महान हिंदू […]

पाञ्चजन्य में जान बूझकर लिखा लेख : डाॅ रघुवंश गोवध पर भावना भड़काने के लिए छापा लेख संवाददाता,पटनाराजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा रघुवंश प्रसाद सिंह ने पाञ्चजन्य में गोवध को लेकर छपे लेख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसे जान-बूझकर लिखा गया है. उन्होंने कहा कि या तो लोग वेद या महान हिंदू धर्मग्रंथ को पढ़े नहीं है या जो पढ़े हैं, वह जानबूझ कर इस तरह की बात कर रहे हैं. पांञ्चजन्य के ताजा अंक में लिखा है कि वेदों में गाय मारनेवाले पापियों की हत्या का आदेश है. डाॅ सिंह ने कहा कि यह सब जानबूझ कर लेख लिखा गया है. यह भी लिखा गया है कि गोहत्या हमारे लिये इतना महत्वपूर्ण है कि सैकड़ों साल से हमारे पूर्वज इसे रोकने के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर हत्या करने वालों से टकराते रहे हैं. डॉ सिंह ने बताया कि गो हत्या के विरोध में पहला बड़ा प्रयास शिवाजी के समय में शुरू हुआ. उस समय उन्होंने गौ व ब्राह्मण की हत्या की रक्षा की बात की. पंजाब में नामधारी आंदोलन भी गोवध के खिलाफ था. गो हत्या के खिलाफ अभियान तो महज 200 वर्षों का है. इसके पहले बाबर ने हुमायूं को गोवध रोकने की सलाह दी थी. अकबर व जहांगीर ने गोवध रोकने का आदेश दिया था. पर जिसको गोवध को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों को लेकर आपत्ति है, वह वैवर्त पुराण, शतपथ ब्राह्मण, महाभारत का वनपर्व और मनु स्मृति का अध्ययन कर लें. इस तरह का लेख जान-बूझ कर उन्माद फैलाने के लिए लिखी जा रही है.

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