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प्रदर्शनकारियों की जद में रहा शहर
आंदोलन से पांच घंटे तक ठप रहा शहर, परेशान रहे लोग गोपालगंज : दिन के 12 बजे है. एनएच 28 स्थित अरार मोड़ के पास सैकड़ों गाड़ियों फंसी है. शहर में घुसना मुश्किल है. गलियों से शहर की सड़कों पर खचाखच भीड़ है, जो जहां है निकलने के लिए बेचैन है. पसीना से तर-बतर चेहरा […]
आंदोलन से पांच घंटे तक ठप रहा शहर, परेशान रहे लोग
गोपालगंज : दिन के 12 बजे है. एनएच 28 स्थित अरार मोड़ के पास सैकड़ों गाड़ियों फंसी है. शहर में घुसना मुश्किल है. गलियों से शहर की सड़कों पर खचाखच भीड़ है, जो जहां है निकलने के लिए बेचैन है. पसीना से तर-बतर चेहरा हर जुबान भद्दी-भद्दी गालियां निकल रही हैं, जो जहां है वहीं रुका है.
स्थिति ऐसी भयावह बना है. कि पैदल चलने वाले भी ठहर गये है. प्रशासन भी मुक दर्शक बना है. कहीं झड़प हो रही है वहीं गाली गलौज हो रहा है. हर तरफ आक्रोश है. कहीं बीमार फंसा है तो कहीं बच्चे चिख रहा है. न सुनामी न भूकंप फिर भी मानों बड़ी तबाही मचाने वाली है. ये नजारा था सोमवार को शहर का जहां पांच घंटे तक पूरा शहर न सिर्फ ठप रहा बल्कि आंदोलन की उग्रता से सभी लोग कराह रहे थे.
आंगनबाड़ी कर्मियों द्वारा सोमवार को किया गया उग्र आंदोलन न सिर्फ शहर के गति को ठप कर दिया बल्कि लोगों को कराहने पर विवश कर दिया. गोपालगंज के शहर के इतिहास में यह पहला प्रदर्शन था, जिसमें आंगनबाड़ी कर्मियों ने चंद लाभ लेने के लिए 50 हजार की आबादी को बेहाल कर दिया और इसका आक्रोश प्रत्येक कराहते व्यक्ति पर स्पष्ट दिख रहा था.
अरार चौक, घोष चौक, आंबेडकर चौक और पोस्ट ऑफिस चौक पूरी तरह से आंगनबाड़ी सेविकाओं के कैप्चर में था. सोमवार को शहर में इस परेशानी का मंजर नौ बजे सुबह से ही शुरू हो गया, जो दो बजे के बाद तक कायम रहा. नजारा ऐसा था मानों शहर की नाकेबंदी कर दी गयी है.
डंडा भांजती आंगनबाड़ी सेविका- सहायिकाएं रोगियों और एंबुलेंस को भी नहीं बख्शा. अपनी 15 सूत्री मांगों को मनवाने के लिए आंगनबाड़ी कर्मियों का आंदोलन लाखों का व्यवसाय और लोगों का कार्य ठप कर दिया.
जाम में घंटों फंसा रहा कै दी वाहन : शहर के मने रोड में बंजारी चौक से आंबेडकर चौक तक जाम लगा रहा.इस जाम में सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन जहां फंसे रहे वहीं चनावे जेल से कैदियों को लेकर आ रहा कैदी वैन भी घंटों फंसा रहा. अंत: एसडीओ रेयाज अहमद खां और एएसपी अनिल कुमार के प्रयास से किसी तरह कैदी वैन को न्यायालय तक ले जाया गया, तब जा कर द्वितीय सत्र में कैदियों की कोर्ट में पेशी हो सकी.
कहीं पब्लिक तो कहीं पुलिस से हुई तू-तू, मैं-मैं
आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा आहूत आंदोलन दिन बढ़ने के साथ -साथ उग्र रूप पकड़ता गया. पोस्ट ऑफिस चौक पर सेविकाओं की झड़प कभी पब्लिक से हुई, तो कभी पुलिस के जवानों से.
ऊमस भरी गरमी से जाम से फंसा हर व्यक्ति अपने गंतव्य को जाने के लिए बेचैन था. इस बीच आंगनबाड़ी कर्मी जबरन लोगों को डंडे के बल रोकती रही. वहीं उधर पुलिस के जवानों पर आंगनबाड़ी सेविकाओं ने अपना गुस्सा दिखाया.
एनएच 28 पर परिचालन रहा ठप
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका की एक टुकड़ी अरार मोड़ पर एनएच 28 को जाम कर दिया नतीजतन 10 किलोमीटर लंबा जाम लग गया. वहीं शहर से निकल कर पूरब की ओर जानेवाली गाड़ियां भी फंसी रहीं.
अरार चौक से हॉस्पिटल चौक तक सड़क पूरी तरह से जाम रहा. गरमी से लोग तर-बतर बने रहे लेकिन यहां प्रशासन का कोई भी अधिकारी या पुलिस जवान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक बजे नहीं पहुंचा था. यहां भी प्रदर्शनकारियों एवं आम पब्लिक के बीच तनाव की स्थिति बनी रही. यहां 2.30 बजे के बाद परिचालन सुचारु हो सका.
मरीजों को भी नहीं बख्शा
अब तक जितने भी प्रदर्शन हुए हैं मरीज और एंबुलेंस पर उसका असर नहीं रहा है लेकिन आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा सोमवार को किये गये आंदोलन का चाबुक मरीजों पर चला. एनएच 28 पर जहां दो एंबुलेंस फंसा रहा, वहीं पोस्ट ऑफिस मोड़ के पास महिला मरीज की गाड़ी को पुलिस किसी तरह निकलवायी.
गरमी से तड़पते रहे मासूम छात्र
आंदोलन और प्रदर्शन की आग में मासूम छात्र-छात्रओं को भी झुलसना पड़ा. एक दर्जन से अधिक स्कूल बस एवं छोटी गाड़ियां जाम में फंसी रहीं, जिस पर सवार छात्र-छात्रएं गरमी और प्यास से तड़पते रहे . इधर छात्रों के समय पर नहीं आने से अभिभावक भी परेशान हो उठे.
नहीं पहुंचे जरूरत मंद
गांव से विभिन्न कार्यो का निपटारा कराने आये जरूरतमंदों को सड़क पर ही समय गवानी पड़ी. लोग जहां सड़क पर रहे वहीं कार्यालयों में सन्नटा पसरा रहा.
धारा 107 के अंतर्गत जमानत लेने आये या हाजिरी देने आये लोगों की सुनवाई दो बजे के बाद हो सकी.
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