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गंडक नदी में समा गया आधा गांव

जल स्तर बढ़ने से तटबधों पर बढ़ा दबाव 130 परिवार हो चुके हैं बेघर गोपालगंज : गंडक नदी की त्रसदी को ङोल रहे सदर प्रखंड के खाप मकसूदपुर गांव का आधा हिस्सा गंडक नदी में समा चुका है. गांव में अफरा-तफरी का माहौल है. नदी का कटाव गांव को अपने आगोश में लेने को आतुर […]

जल स्तर बढ़ने से तटबधों पर बढ़ा दबाव
130 परिवार हो चुके हैं बेघर
गोपालगंज : गंडक नदी की त्रसदी को ङोल रहे सदर प्रखंड के खाप मकसूदपुर गांव का आधा हिस्सा गंडक नदी में समा चुका है. गांव में अफरा-तफरी का माहौल है. नदी का कटाव गांव को अपने आगोश में लेने को आतुर है. नदी के रुख को देख गांव के लोग अपने-अपने घरों को अपने ही हाथों से उजाड़ रहे हैं. आंखों में आंसू और दिल में गम लिये घरों को तोड़ा जा रहा है.
ईंट, जंगला और चौखट को निकाल अपने घर को मिट्टी में मिला रहे हैं. कठघरवा पंचायत के खाप गांव को बचाने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं किया गया है. गांव के बिंदा प्रसाद अपनी दो बहुओं, बूढ़ी पत्नी, छोटे-छोटे नाती और नतिनी को लेकर पीपल के पेड़ के नीचे 24 घंटा से शरण लिये हुए हैं. अकेले बिंदा ही नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों के पास एक अदद पॉलीथिन भी नहीं है कि सिर छिपा सकें. गंडक नदी की त्रसदी ने अब तक 130 परिवारों को बेघर कर दिया है. जिस रुख से कटाव हो रहा है, आशंका है कि दो दिनों के भीतर यह गांव जिले के नक्शे से गायब हो जायेगा.
हालांकि अकेले खाप ही नहीं, बल्कि बकुआ टोला, जागिरी टोला, मलाही टोला, कठघरवा का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा. हालांकि बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधीक्षण अभियंता बासुकी नाथ प्रसाद ने बताया कि नेपाल से गंडक नदी में शनिवार की शाम 58.9 हजार क्यूसेक पानी डिसचार्ज किया गया है. तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है. हालांकि जिला प्रशासन की तरफ से कटावपीड़ितों को किसी प्रकार की राहत उपलब्ध नहीं करायी गयी है.

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