संवाददातापंचदेवरी” सृष्टि का मूल बीज होती है, ये तो हर दिल की अजीज होती है. घर मुक्कमल नहीं है बेटों से बेटियां घर की तमीज होती है. युवा कवि संजय मिश्र संजय ने जब अपना से अल्फाज सुनाया, तो महफिल तालियों से गंूज उठी. मौका था डा मैनेजर पांडेय सेवा संस्थान द्वारा संचालित साहित्य संक ुल के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मेलन सह मुशायरे का गुरूवार की देर शाम भोजपूरिया माटी के कलमकार अपनी अल्फाजों से साहित्य रस की बारिश कर रहे थे, और लोहठी की साहित्यिक धरा साहित्य रस से सराबोर हो रही थी. सीवान के शायर फिरोज अंसारी आशिक की रचना ‘ किससे कहें दर्द अपना ये जहां क्या जानता, बागवां का दर्द बागवां ही जानता’ को लोगों ने खुब सराहा. कवि सोमनाथ ओझा सोमेश की पंक्तियां ‘ काठ के माथ पत्थर के सीना रही, ओ कमीना के कौनों कमी ना रही’ सुनकर पुरा महफिल झूम उठा. युवा कवि राहूल पांडेय की कविता हिन्दी से ही भारत वर्ष की मानवता बलवान है, इसी के निर्मल ज्ञान बुद्धि से जाना सकल जहान है. इसकी भी खुब तारीफ की गयी. इनके आलावे अन्य स्थानीय कवियों ने भी अपनी अपनी रचनाएं पेश की. कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व शिक्षक विंध्याचल पांडेय तथा संचालन कवि अनूप कुमार पांडेय ने किया.
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घर मुक्कमल नहीं है बेटों से बेटियां घर की तमीज होती है…. / असंपा
संवाददातापंचदेवरी” सृष्टि का मूल बीज होती है, ये तो हर दिल की अजीज होती है. घर मुक्कमल नहीं है बेटों से बेटियां घर की तमीज होती है. युवा कवि संजय मिश्र संजय ने जब अपना से अल्फाज सुनाया, तो महफिल तालियों से गंूज उठी. मौका था डा मैनेजर पांडेय सेवा संस्थान द्वारा संचालित साहित्य संक […]
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