18 वर्ष की उम्र में किया था जंग-ए-आजादी का एलानसंवाददाता, पंचदेवरीअंगरेजों का जुल्म सहता रहा, शरीर पर कोड़े बरसते रहे. अंगरेजों ने पानी के बिना तड़पा कर मार डाला, किंतु अंगरेजी हुकूमत को स्वीकार नहीं किया. पंचदेवरी प्रखंड के लामीचौर निवासी प्रभुनाथ पांडेय का बबेटा भुआल पोडेय 18 वर्ष की उम्र में ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा. महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित भुआल किशोरावस्था में ही अंगरेजों के खिलाफ हंुकार भरना शुरू कर दिया. प्रखंड के रूपी बगहीं निवासी आगम पांडेय, भृंगीचक निवासी संसारी मिश्र सहित कई आजादी के दीवानों की टीम बना कर अंगरेजों के विरुद्ध जंग शुरू कर दी. 1930 में माहत्मा गांधी द्वारा चलाये गये नमक सत्याग्रह में भी सक्रिय रहे. आजादी की लड़ाई के दौरान भुआल को बार-बार जेल जाना पड़ा, यातनाएं सहनी नड़ी. किंतु वे अपने लक्ष्य से नहीं हटे. पंचदेवरी के इस सपूत की मौत पटना के कैंप जेल में 1938 में 40 वर्ष की उम्र हो गयी. जानकार बताते हैं कि कैंप जेल में अंगरेजों की प्रताड़ना से उनकी मौत हो गयी, क्योंकि क्षेत्र में रहते हुए उन्होंने अंगरेजों की नींद हराम कर रखी थी.
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अंगरेजों को भुआल पांडेय ने दी थी कड़ी चुनौती
18 वर्ष की उम्र में किया था जंग-ए-आजादी का एलानसंवाददाता, पंचदेवरीअंगरेजों का जुल्म सहता रहा, शरीर पर कोड़े बरसते रहे. अंगरेजों ने पानी के बिना तड़पा कर मार डाला, किंतु अंगरेजी हुकूमत को स्वीकार नहीं किया. पंचदेवरी प्रखंड के लामीचौर निवासी प्रभुनाथ पांडेय का बबेटा भुआल पोडेय 18 वर्ष की उम्र में ही आजादी की […]
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