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ईंट भट्ठों के धुएं से िजले की हवा हुई जहरीली

दिल्ली की हवा में घुले जहर की चर्चा हर ओर है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं. जिले में वायु प्रदूषण के मामले में कुछ ही दिनों में तीन अंकों की वृद्धि दर्ज हुई है. यह आंकड़ा अब 30.34 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया है. वह दिन दूर […]

दिल्ली की हवा में घुले जहर की चर्चा हर ओर है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं. जिले में वायु प्रदूषण के मामले में कुछ ही दिनों में तीन अंकों की वृद्धि दर्ज हुई है. यह आंकड़ा अब 30.34 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया है. वह दिन दूर नहीं जब 100 माइक्रोग्राम तक प्रदूषण का खतरनाक स्तर पहुंच जायेगा.

जाहिर है कि जिले के अधिकतर ईंट भट्ठों पर प्रदूषण मानकों को नजरअंदाज किया जा रहा है. ईंट भट्ठों पर प्रतिबंध के बावजूद प्लास्टिक व रबड़ से कोयले को जलाने में इस्तेमाल कर ईंट पकायी जा रही है. ऐसे में ईंट भट्ठे की चिमनी से निकलने वाला खतरनाक धुआं स्वच्छ वातावरण में जहर घोल रहा है. हाइकोर्ट ने भी प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए सामान्य ईंट भट्ठों के संचालन पर रोक लगा दी है.
जिले के 202 ईंट भट्ठों से महज 45 भट्ठों ने जिग जैग सिस्टम को लगाया है, बाकी 155 भट्ठे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मेहरबानी पर संचालित हो रहे हैं. उधर, कटेया के खुरहुरिया गांव के बबुना राय व विनोद कुमार चौबे पर केस होने के बाद हड़कंप मचा है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लगायी रोक: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वायु प्रदूषण के मद्देनजर सामान्य तकनीक पर आधारित ईंट भट्ठों के संचालन पर रोक लगा दी थी. आदेश दिया गया था कि जिग जैग तकनीक के ही ईंट भट्ठे चलाये जाएं. भट्ठा संचालकों की ओर से पटना हाइकोर्ट से गुहार लगायी गयी थी. जिग जैग तकनीक से ईंट भट्ठे के संचालन की मोहलत मांगी गयी थी.
कोर्ट की ओर से शपथपत्र देने पर कि वे एक वर्ष में जिग जैग तकनीक अपना लेंगे, पर 31 जुलाई, 2019 तक पुरानी तकनीक से ईंट भट्ठा चलाने की अनुमति प्रदान कर दी गयी थी.
जो समाप्त हो चुकी है.
कटेया के दो भट्ठा मालिकों पर प्राथमिकी के बाद हड़कंप
ईंट भट्ठे से निकल रहे धुएं खतरनाक
सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ अभिषेक शेखर सिन्हा का कहना है कि प्रदूषित वायु से श्वांस रोग, चर्म रोग व आंखों में जलन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. अगर व्यक्ति लंबे समय तक प्रदूषित वायु में रहे तो कैंसर की भी आशंका रहती है. अगर इसके साथ धुएं का मिश्रण हो जाये तो यह घातक भी हो सकता है.
ईंट भट्ठा चलाने के लिए क्या है जरूरी अर्हता
वर्ष 2019-20 में जिले में कोई भी ईंट भट्ठा जिग जैग प्रणाली के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति, खनन विभाग से प्रमाणपत्र, स्वच्छता प्रमाणपत्र, जीएसटी रजिस्ट्रेशन की औपचारिक शर्तें पूरी किये बिना नहीं चल पायेगा. खनन विभाग के इंस्पेक्टर अजीत कुमार ने बताया कि मनमानी करने वाले संचालकों पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
जिग जैग सिस्टम नहीं लगाने वाले ईंट भट्ठों की रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को भेजी जा चुकी है. कार्रवाई उनके स्तर पर होना है.

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