गोपालगंज : गंडक की कटावी लहरों का खतरा बिजली के हाइटेंशन टावर पर अब भी बरकरार है. एक ओर प्रशासन और विभाग जहां टावरों को बचाने की जद्दोजहद कर रहा है, वहीं गंडक का कटावी तांडव भी जारी है.
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जद्दोजहद : छठे दिन भी टावर बचाने में जुटे रहे इंजीनियर और मजदूर
गोपालगंज : गंडक की कटावी लहरों का खतरा बिजली के हाइटेंशन टावर पर अब भी बरकरार है. एक ओर प्रशासन और विभाग जहां टावरों को बचाने की जद्दोजहद कर रहा है, वहीं गंडक का कटावी तांडव भी जारी है. इधर दो दिनों में गंडक के जल स्तर में कमी आयी है. नदी के जल स्तर […]
इधर दो दिनों में गंडक के जल स्तर में कमी आयी है. नदी के जल स्तर में कमी से कटाव और तेज हो गया है. सोमवार को भी टावरों को बचाने के लिए निरोधात्मक और सुरक्षात्मक कार्य जारी रहा. बता दें कि पिछले सोमवार की शाम गोरखपुर-मोतिहारी बिजली रूट लाइन का एक टावर सलेमपुर के पास गंडक की कटावी चपेट में आने से गिर गया.
तब से बिजली सप्लाइ तो बंद कर ही दी गयी, खतरे में पड़े अन्य टावरों को बचाने के लिए निरोधात्मक कार्य शुरू किया गया. जियो बैग और सैंड बैग की परत बनाकर जहां कटाव को रोकने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं गिरे टावर को रिस्टोर करने की रणनीति बनायी जा रही है. इसके लिए कटाव स्थल पर पर्याप्त संख्या में संसाधन मंगाये गये हैं.
वैसे तो नदी की धारा से टकराते गिरे तार के कंपन और कटाव से चार टावरों पर खतरा है, लेकिन दो टावर विशेष रुप से कटाव के चपेट में आ सकते हैं. ऐसे में विभाग की ओर से लगे मजदूर और एक्सपर्ट दो टावरों को बचाने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहा है.
इंजीनियरों की टीम 250 मजदूरों के साथ कैंप कर निरोधात्मक कार्य में लगी हुई है. गंडक नदी की कटावी धारा की चपेट में आने से एक टावर को गिरे हुए आठ दिन हो गये हैं, लेकिन अभी तक गिरा टावर रिस्टोर नहीं हो सका है.
बता दें कि पिछले सोमवार की शाम 400 मेगावाट बिजली रूट लाइन के हाइटेंशन टावर नदी के कटाव से गिर गया. इसके कारण गोरखपुर से मोतिहारी जाने वाली इस बिजली लाइन से पावर की सप्लाइ बंद कर दी गयी. इस लाइन से मोतिहारी, बेतिया, रक्सौल के क्षेत्र में बिजली सप्लाइ होती है.
टावर गिरने के बाद गिरे बुधवार को रिस्टोर करने का प्रयास किया गया, लेकिन संसाधन की कमी और गंडक के उग्र कटावी वेग ने विभाग और कार्य कर रहे मजदूरों के हौसले को पस्त कर दिया. उसके बाद विभाग उन टावरों को बचाने के प्रयास में लग गया, जिस पर खतरा मंडरा रहा है. फिलहाल नदी की धारा के बीच टावर को बचाने का अथक प्रयास जारी है.
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