गोपालगंज : ठीक 17 वर्ष पहले एक महिला तमकुंही स्टेशन पर ट्रेन आते ही उसके आगे कूदने का प्रयास किया. पास में खड़ी महिला अचानक उसका हाथ पकड़ उसे मरने से बचा लिया और आत्महत्या के कारणों को जाना, फिर अपने साथ रखकर उसकी जिंदगी के मायने को बदल दिया. बचाने वाली वह महिला थी अहिल्या कुमारी, जो वर्तमान में पीड़ित और प्रताड़ित महिलाओं का न सिर्फ हमदर्द बन गयी है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही है.
सुबह सात बजे से रात 11 बजे हर पीड़ितों की जानकारी लेना अहिल्या की ड्यूटी बन गयी है. इस घटना का जिक्र करते हुए अहिल्या ने कहा कि वह घटना उनकी जिंदगी जीने का तरीका बदल दिया और तब से उसने ठान लिया है कि हर दुखी महिला की वह मदद करेगी. इस बीच अहिल्या ने रूढ़िवादिता की कई मिथकें तोड़ीं. वह बताती हैं कि दियारे के मकसुदपुर गांव की रहने वाली परिवार की पहली महिला हैं, जो स्नातक हैं. जब वह समाज सेवा में उतरी तो मायके और ससुराल सभी का विरोध सहना पड़ा, लेकिन जज्बा कायम रहा. गरीब महिलाओं की सेवा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनाथ मदर टेरेसा संस्थान खोला.