संकट. स्टांप खत्म होने से बाधित होगा कोर्ट का काम
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फ्रैंकिंग मशीन का कॉटेज खत्म एक सप्ताह नहीं मिलेगा स्टांप
संकट. स्टांप खत्म होने से बाधित होगा कोर्ट का काम गोपालगंज : व्यवहार न्यायालय एवं अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए उपयोग होनेवाला स्टांप मंगलवार से मिलना बंद हो गया. व्यवहार न्यायालय परिसर में लगायी गयी फ्रैकिंग मशीन 16 दिन बाद कॉटेज के अभाव में बंद हो गयी. निबंधन विभाग ने इस संकट को लेकर डीएम […]
गोपालगंज : व्यवहार न्यायालय एवं अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए उपयोग होनेवाला स्टांप मंगलवार से मिलना बंद हो गया. व्यवहार न्यायालय परिसर में लगायी गयी फ्रैकिंग मशीन 16 दिन बाद कॉटेज के अभाव में बंद हो गयी. निबंधन विभाग ने इस संकट को लेकर डीएम और जिला एवं सत्र न्यायाधीश को जानकारी देते हुए स्पष्ट किया है कि अगले सात नवंबर तक कॉटेज मिलने की संभावना नहीं है. ऐसी स्थिति में न सिर्फ न्यायालय बल्कि प्रशासनिक कार्यों पर भी गंभीर असर पड़ेगा.
मंगलवार की सुबह स्टांप लेने के लिए सैकड़ों की संख्या में ताइद और वकील कतार में खड़े हुए. मशीन नहीं खोली गयी और न ही इन्हें कोई जानकारी दी गयी. इसके कारण कोर्ट का काम बाधित होने लगा. मंगलवार को 186 मामलों में कोर्ट में पैरवी नहीं हो सकी, जबकि 23 लोगों की जमानत की अर्जी दाखिल नहीं हो सकी. एक सप्ताह तक कोर्ट का काम ठप होने की संभावना को देखते हुए विभाग ने वरीय अधिकारियों को सूचित कर वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा है.
एक दिन में लगभग एक लाख से अधिक का स्टांप फ्रैकिंग मशीन से बिकता है. स्टांप के बिना न्यायालय में जमानत, मुकदमों की पैरवी, कोर्ट फीस, मुकदमों का प्रमाणित प्रति नहीं मिलेगा, दीवानी मुकदमों में गवाही बाधित, रिवीजन नहीं होगा दाखिल, शपथपत्र आदि नहीं हो सकता है. सीजेएम कोर्ट में परिवाद दाखिल करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है. कम्प्लेन के साथ अधिवक्ता यह प्रमाणित कर रहे हैं कि स्टांप नहीं मिल रहा है, जिससे नहीं लगाया है.
कोर्ट ने बिना स्टांप के कम्प्लेन दाखिल करने की मंजूरी दे दी है.निबंधन विभाग के द्वारा हाथ खड़े किये जाने के बाद घंटों मंथन कर ट्रेजरी में उपलब्ध स्टांप को बिक्री के लिए उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है. हालांकि, ट्रेजरी में उपलब्ध स्टांप काफी कम है, जिससे समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है. वकीलों ने स्टांप नहीं पर हंगामा किया. वकीलों का आरोप था कि पहले से प्रशासन को पता था कि स्टांप नहीं मिलेगा, तो वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गयी. सैकड़ों की संख्या में सुदूर ग्रामीण इलाकों से मुकदमों की पैरवी के लिए आये लोगों को वापस लौटना पड़ा. प्रशासन अगर अलर्ट रहता, तो इस स्थिति से निबटा जा सकता था.
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