रानी हीरमति की मूर्ति तो मिली, पर लुटेरों ने नहीं किया अपेक्षित खुलासा
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अंतरराष्ट्रीय मूर्ति तस्करों तक नहीं पहुंच पाये पुलिस के हाथ
रानी हीरमति की मूर्ति तो मिली, पर लुटेरों ने नहीं किया अपेक्षित खुलासा भोरे : गोपालगंज की धरती भगवान के लिए सुरक्षित नहीं है. जिस भगवान के नाम पर इस जिले का नाम गोपालगंज पड़ा, आज उसी जिले में मूर्ति तस्करों ने भगवान को भी नहीं बक्सा है. आंकड़े गवाह हैं कि यहां से अबतक […]
भोरे : गोपालगंज की धरती भगवान के लिए सुरक्षित नहीं है. जिस भगवान के नाम पर इस जिले का नाम गोपालगंज पड़ा, आज उसी जिले में मूर्ति तस्करों ने भगवान को भी नहीं बक्सा है. आंकड़े गवाह हैं कि यहां से अबतक दर्जनों बेशकीमती मूर्तियां गायब हो चुकी हैं. इन मूर्तियों की बरामदगी में पुलिस को अपेक्षाकृत सफलता हाथ नहीं लग पायी है. कटेया थाने के अमेयां गांव से सती रानी हीरमति की मूर्ति को दूसरी बार लूट लिया गया. नीलम पत्थर से बनी रानी हीरमति की मूर्ति को लुटेरों ने पुजारी और चौकीदार को बंधक बना कर लूट लिया था. इस मामले को लेकर लोगों में उबाल भी आया. सड़क जाम कर प्रदर्शन भी किया गया.
मौके पर पहुंचे मीरगंज के इंस्पेक्टर बीपी आलोक ने सात दिनों का समय लिया. पुलिस ने इस पर वर्क करते हुए मूर्ति को पांच दिनों के अंदर ही लुटेरों के साथ बरामद कर लिया. लुटेरों में शामिल विजयीपुर थाने के पिपरा गांव निवासी अशोक राम उर्फ पप्पू राम ने पुलिस को यह बयान दिया कि मूर्ति चोरी करने के लिए 10 लाख रुपये का ऑफर दिया गया था. रुपये का ऑफर देनेवाला कुशीनगर जिले का व्यक्ति था, लेकिन यह बात उसने नहीं बतायी कि यह रुपये उसे कौन देता. यहां बता दें कि अशोक राम मूर्ति तस्करी के आरोप में यूपी के एक जेल में वर्ष 2013 तक बंद था. उसका मूर्ति चोरी का पुराना रिकाॅर्ड रहा है.
फिर यह एक सवाल आज भी बरकरार है कि आखिर इस बड़े संगठित गिरोह का मुख्य सरगना कौन है. आखिर वो कौन व्यक्ति है, जिसके इशारे पर गोपालगंज से बेशकीमती मूर्तियां चोरी हो रही हैं. इसी मामले में एक और खुलासा हुआ था, जिसमें यह बताया गया था कि इसी गिरोह ने ऐतिहासिक घुर्णाकुंड मठ से 62 मूर्तियों की चोरी की थी. हालांकि मूर्तियां तो नहीं मिलीं, लेकिन इस बात का जवाब भी नहीं मिला कि आखिर उन मूर्तियों को कहां और किसके पास ठिकाने लगाया गया.
इस पूरे मामले की अगर गहनता से जांच की जाये, तो गोपालगंज पुलिस निश्चित तौर पर उस सरगना तक भी पहुंच सकती है, जो यहां की प्राचीन धरोहरों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचा रहा है.
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