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अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की हुई पूजा-अर्चना

ब्राह्मणों को भोजन करा कर दिया वस्त्र, द्रव्य गोपालगंज : अक्षय नवमी के मौके पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने के साथ ही भातुआ को काट कर उसमें द्रव्य राशि का तथा भूमि के भीतर सप्तधान का गुप्तदान करने के उपरांत वृक्ष के नीचे भोजन पकाने के लिए भीड़ लगी रही. शहर से लेकर […]

ब्राह्मणों को भोजन करा कर दिया वस्त्र, द्रव्य
गोपालगंज : अक्षय नवमी के मौके पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने के साथ ही भातुआ को काट कर उसमें द्रव्य राशि का तथा भूमि के भीतर सप्तधान का गुप्तदान करने के उपरांत वृक्ष के नीचे भोजन पकाने के लिए भीड़ लगी रही. शहर से लेकर गांव तक हर घर से आंवला पेड़ के नीचे भोजन बनाने के लिए महिलाओं का हुजूम देखा गया.
भोजन के साथ ही आधुनिकता का भी असर रहा. परंपरा के अनुसार रविवार को प्रात:काल स्नान कर आंवले के वृक्ष को जल अर्पित कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ उनको वस्त्र और दक्षिणा देकर अक्षयपुण्य प्राप्त किया. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु सहित सभी देवी-देवताओं का वास होता है.
वैज्ञानिक व आयुर्वेद के अनुसार : विज्ञान एवं आयुर्वेद में आंवले को सौ मर्ज की एक दवा यानी आंवले के फल को बताया गया है, जो मानव शरीर को आरोग्य प्रदान करता है. आंवले को औषधीय गुणों का खजाना के साथ-साथ जीवन चक्र को संचालित करने से बाधक विकारों को नष्ट करनेवाला है.
आंवला एक बेहतरीन एंटी-बॉयोटिक्स होने के साथ मल्टीविटामिन के गुणों के भरपूर माना जाता है. वहीं इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में व्यापक रूप से बढ़ोतरी होती है. आंवले में बहुत सारे पोषण तत्व विद्मान हैं. चिकित्सकीय पद्धतियों में आंवले को एंटी-ऑक्सीडेंट माना जाता है. इसके लिए ऋषियों ने इस परंपरा का शुभारंभ किया था, जिसे आज भी मनाया जाता है.

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