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उत्तर बिहार के 10 हजार से अधिक युवा कतर में कर रहे थे काम, अब नौकरी से कर लिया तौबा.. जानें क्यों?

संजय कुमार अभय गोपलगंज : अरब, बहरीन, मिस्त्र और यूएइ (संयुक्त अरब अमीरात) के कतर से अपने कूटनीतिक संबंध तोड़ लेने के बाद उपजे विवाद से जिले के लगभग 4280 लोग प्रभावित हो गये हैं. गोपालगंज एवं आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग कतर में काम रहे हैं. ताजा हालात के मद्देनजर लोग […]

संजय कुमार अभय
गोपलगंज : अरब, बहरीन, मिस्त्र और यूएइ (संयुक्त अरब अमीरात) के कतर से अपने कूटनीतिक संबंध तोड़ लेने के बाद उपजे विवाद से जिले के लगभग 4280 लोग प्रभावित हो गये हैं. गोपालगंज एवं आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग कतर में काम रहे हैं. ताजा हालात के मद्देनजर लोग वहां जाने कतराने लगे हैं. हालांकि वहां काम कर रहे भारतीयों को फिलहाल कोई परेशानी नहीं है, लेकिन हालात ऐसे ही बने रहे तो मुश्किल आ सकती है.
गोपालगंज के अलावा, सीवान, मोतिहारी, सारण, बेतिया आदि जिलों से बड़ी संख्या में लोग सऊदी अरब, यूएइ, कतर और कुवैत में नौकरी-मजदूरी करते हैं. कतर के अलग-थलग होने के बाद वहां काम करने वालों के परिवार वाले परेशान हैं. बहुत से लोगों ने अपने बच्चों को बुलाना शुरू दिया है. बीते पांच वर्षों सऊदी अरब और यूएइ में नौकरियां कम हुईं, तो कामगारों ने कतर और कुवैत का रुख किया. सरेया के मुर्तजा हैदर तकरीबन 10 वर्षों से कतर में रिफाइनरी में काम करते है. जहां वह काम करते हैं वह आबादी से काफी दूर है.
उन्हें कतर के ताजा हालात के बारे में कोई जानकारी नहीं है. मोबाइल फोन पर उन्होंने बताया कि ज्यादातर भारतीय ऐसी जगह ही काम कर रहे हैं. कंपनियों की ओर से खाना, रहना और आने-जाने की सुविधा दी जाती है. इसलिए कर्मचारियों पर प्रतिबंध का बहुत असर नहीं है. आगे कैसे हालात होंगे, यह कहना मुश्किल है. उसी मोहल्ले के जावेद आलम सिद्दीकी कतर में एक बड़ी टेलिकाम कंपनी में इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि पिछले छह माह से कतर में स्थिति अच्छी नहीं चल रही है. कई दोस्तों ने कतर छोड़कर दूसरे देशों में नौकरी खोज ली है. आने वाले वक्त में स्थिति खराब हो सकती है.
कच्चे तेल के कीमतों के कारण रोजगार में कमी : कतर में प्लानिंग इंजीनियर रह चुके सैयद मुजतबा ने बताया कि सिर्फ कतर ही नहीं बल्कि सभी खाड़ी देशों की स्थिति खराब है.
लगातार कच्चे तेल की कीमतों में कमी के कारण रोजगार में कमी आयी है. वहां काम करने वालों को निकाला जा रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सऊदी अरब और यूएइ जाने के बजाय लोग कतर और कुवैत जाना ज्यादा पसंद कर रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे वहां रोजगार खत्म हो रहा है. हाल में ही कतर से लौटकर आये मो फत्ताह ने बताया वहां विकास रुक गया है.
कंपनियां वेतन बढ़ाने के बजाय कम रही हैं. छोटी कंपनियों में हजारों कामगारों का वेतन फंसा हुआ है.इस्लामिक इस्टेट और चरमपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर हाल ही में सऊदी अरब, मिस्त्र, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, यमन और लीबिया ने कतर से अपने कूटनीतिक संबंध समाप्त कर लिये हैं.
इतना ही नहीं, सऊदी अरब, यूएइ, मिस्र और बहरीन से कतर के लिए हवाई, जमीनी और समुद्री रास्ते बंद कर दिये गये. हालांकि प्रतिबंध लगाने के पीछे क्षेत्रीय राजनीति भी बड़ी वजह बतायी जा रही है.
इससे पहले 2014 में सऊदी अरब, बहरीन और यूएइ ने कतर पर उनके आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाते हुए अपने राजदूत वापस बुला लिये थे. यह माना जा रहा है कि प्रतिबंध के बाद आर्थिक रूप से सक्षम कतर में खाने-पीने, दवा और जरूरी चीजों की किल्लत हो सकती है और इसका असर वहां रह रहे हजारों भारतीयों पर भी पड़ेगा.

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