पटना, जूही स्मिता : पटना यूनिवर्सिटी का ‘ छात्र संघ चुनाव 2025’ अपने आप में बेहद खास रहा, क्योंकि यह चुनाव महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना. जहां कई दशकों से महिलाओं को पुरुषों से पीछे देखा जाता रहा था, वहीं इस बार सेंट्रल पैनल के तीन प्रमुख पदों पर महिला उम्मीदवारों ने अपनी जीत का परचम लहराया. यह महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण रहा. इस चुनाव ने एक नये इतिहास की रचना की, जहां पांच महत्वपूर्ण पदों में से तीन पर लड़कियों ने विजय प्राप्त की. वहीं काउंसलर्स पदों पर भी लड़कियों का दबदबा रहा. एबीवीपी की महिला प्रत्याशी मैथिली मृणालनी ने अध्यक्ष पद जीत कर इतिहास रच दिया. अब इन महिला नेत्रियों की जिम्मेदारी बढ़ गयी है. आठ अप्रैल को शपथ लेने के बाद की उनकी क्या और कैसी होगी रणनीति आइए जानते हैं.

सेंट्रल पैनल पर इन्होंने हासिल की जीत
1. मैथिली ने पेश की महिला नेतृत्व का नायाब उदाहरण
– मैथिली मृणालनी, अध्यक्ष
इस बार के चुनाव में महिला उम्मीदवारों ने अपनी क्षमता और योग्यता से यह साबित कर दिया कि वह किसी से पीछे नहीं हैं. एबीवीपी की मैथिली मृणालनी ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया. पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि किसी महिला ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की है. पांच दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है. उनके साथ ही महासचिव पद पर निर्दलीय सलोनी राज और कोषाध्यक्ष पद पर सौम्या श्रीवास्तव ने भी शानदार जीत दर्ज की. वे कहती हैं- साल 2022 में पीयू के चुनाव में काउंसेलर पद पर जीत हासिल की थी. हमेशा से उन्हें स्टूडेंट्स के लिए ग्रास रूट लेवल पर काम करना था. कैंपस के अंदर सिक्योरिटी, बेहतर माहौल व महिलाओं के लिए हाइजीन की व्यवस्था कराऊंगी. साथ ही उन लड़कियों की आवाज बनूंगी, जो खुलकर अपनी बात नहीं रख पाती हैं.

2. मुश्किलों ने सलोनी राज को बनाया और मजबूत
सलोनी राज, महासचिव
रोहतास की रहने वाली सलोनी राज, जो पटना वीमेंस कॉलेज में बीबीए फाइनल इयर की छात्रा हैं, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में महासचिव पद पर चुनी गयी हैं. उन्होंने चुनावी यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया, जिसमें उनकी टीम पर हमले और धमकियां शामिल थीं. हालांकि, उनका कहना है कि इन सब मुश्किलों ने उन्हें और मजबूत किया. सलोनी का उद्देश्य विश्वविद्यालय की खामियों को सुधारना और छात्राओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाना है. उनका मानना है कि ‘80-20 का रूल’ यानी 80% अकादमिक और 20% अन्य गतिविधियों पर ध्यान देकर छात्राओं को अपना आत्मविश्वास बढ़ाने का मौका मिलेगा. वे कहती हैं मैं कैंपस की छात्राओं की आवाज बनूंगी. उनके लिए काम करूंगी. इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े रहने का मकसद विवि की खामियों को सुधार करना है.

3. धमकियां मिलीं, पर सौम्या के दृढ़ संकल्प ने जीत दिलायी
– सौम्या श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष
सौम्या श्रीवास्तव, जो छपरा की रहने वाली हैं और पटना वीमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद पीयू से ज्योग्राफी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं. वे हाल ही में हुए पटना यूनिवर्सिटी के ‘ छात्र संघ चुनाव 2025’ में कोषाध्यक्ष पद पर चुनी गयी हैं. सौम्या ने चुनाव में भाग लेने का निर्णय तब लिया जब उनके सीनियरों ने उन्हें प्रोत्साहित किया. उनका कहना है कि उन्हें कई बार धमकियां मिलीं, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प उन्हें जीत दिलाने में मददगार साबित हुआ. उनका लक्ष्य विश्वविद्यालय में छात्राओं के सुरक्षा मुद्दों पर काम करना है और उनकी समस्याओं को उजागर करना है.
वे कहती हैं- नॉमिनेशन से पहले खुद ही कैंपेनिंग के लिए कॉलेज जाती थी. नॉमिनेशन के बाद पार्टी का सहयोग मिला. मेरा मकसद लड़कियों की सुरक्षा, सुविधाओं को उपलब्ध कराना है. साथ ही खामियों को दूर करना भी मेरा मकसद है.
काउंसलर पद पर भी दो बेटियों ने जमाया कब्जा
इस बार के चुनाव में काउंसलर पद पर भी कई महिला उम्मीदवारों ने जोरदार प्रदर्शन किया. मगध महिला कॉलेज की सरगम कुमारी ने काउंसलर पद पर जीत हासिल की. वहीं वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज की सिमरन कुमारी ने भी काउंसलर पद पर निर्विरोध जीत हासिल की.

1. सरगम कुमारी
मगध महिला कॉलेज में साइकोलॉजी ऑनर्स कर रही सरगम कुमारी ने 587 वोट हासिल कर काउंसलर पद के लिए जीत दर्ज की. वह बताती हैं कि हॉस्टल में रहने के दौरान पूर्व काउंसलर और छात्राओं ने इस पद पर खड़े होने के लिए हौसला बढ़ाया. इसके लिए हॉस्टल में डोर टू डोर छात्राओं के पास जाकर अपनी बात को रखा. कॉलेज की समस्याओं को ध्यान में रखकर समाधान करना है. इस बार के चुनाव में जिस तरह से छात्राएं उभर कर आयी है यह सभी के लिए खास है. इनके आने से कई बदलाव देखने को मिलेगा.

2. सिमरन कुमारी
वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज में निर्विरोध काउंसलर पद के लिए चुनी गयी सिमरन कुमारी अपने कॉलेज के लिए काफी कुछ करना चाहती है. वह अभी बीएड फर्स्ट इयर में है और कॉलेज में कई बेसिक सुविधाएं नहीं है जिनमें खेल का मैदान, वॉशरूम हाइजीन, बिजली, लाइब्रेरी खुलना आदि है. पहली बार महिला अध्यक्ष और अन्य पदों के लिए महिला उम्मीदवार का आना काफी सराहनीय है. इससे आने वाले समय में कई छात्राएं चुनाव में आयेंगी और कई सारे बदलाव देखने को मिलेंगे.
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