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मौसम ने तल्ख किये तेवर, ‘जल’ और ‘जीवन’ दोनों पर संकट

कोरोना के संक्रमण ने गया वासियों को बीते दो महीने से डरा रखा है. संक्रमण के डर व लाॅकडाउन की वजह से पूरा जल-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. इसी बीच जिले में गर्मी ने दस्तक दे दी है. बीते एक सप्ताह में जिस तरह से शहर का तापमान बढ़ने लगा है, उससे सभी लोग डर में हैं. पहली चिंता तो वर्षों की है. गर्मी आते ही पानी का संकट गया में होना तय है. तमाम प्रयासों और करोड़ों खर्च के बाद भी आज तक पानी की समस्या का समाधान पूर्ण रूप से नहीं निकल सका है.

कोरोना के संक्रमण ने गया वासियों को बीते दो महीने से डरा रखा है. संक्रमण के डर व लाॅकडाउन की वजह से पूरा जल-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. इसी बीच जिले में गर्मी ने दस्तक दे दी है. बीते एक सप्ताह में जिस तरह से शहर का तापमान बढ़ने लगा है, उससे सभी लोग डर में हैं. पहली चिंता तो वर्षों की है. गर्मी आते ही पानी का संकट गया में होना तय है. तमाम प्रयासों और करोड़ों खर्च के बाद भी आज तक पानी की समस्या का समाधान पूर्ण रूप से नहीं निकल सका है. पिछले वर्ष से एक दूसरी बड़ी समस्या ने गया को अपने घेरे में ले रखा है. यह है ‘हीट वेव’. 2019 की गर्मी और हीट वेव को याद कर आज भी लोग डर जाते हैं. हीट वेव ने सैकड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया था, इसमें 37 लोगों की मौत भी हो गयी थी. इस साल भी मौसम के तेवर तल्ख दिख रहे हैं. पारा 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. ऐसे में अब गयावासियों पर ‘जल’ और ‘जीवन’ का संकट मंडराने लगा है. कारगर उपाय कुछ भी नहीं है. अपनी समझदारी से ही लोगों को इस मुश्किल घड़ी का सामना करना पड़ेगा.

निगम को है जल संकट की चिंता, लेकिन नहीं है कोई उपाय

10 से 15 तक गर्मी में किसी को पेयजल संकट से नहीं जूझना होगा, हर तरह के जरूरी कदम समय रहते उठाये जा रहे हैं. इस तरह का बयान निगम के अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने कई बार दिया. इतना ही नहीं, दोनों स्तर से कहा गया कि समस्या के निराकरण के लिए कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है. शिकायत मिलते ही उसका समाधान कर लिया जायेगा. लेकिन, गर्मी आते ही कई मुहल्लों के लोग पानी के इंतजाम के लिए परेशान दिख रहे हैं. हर वर्ष यह स्थिति आती है. लेकिन, समय से पहले इसका ढंग का इंतजाम नहीं किया जाता है. निगम को एक वर्ष पहले से ही आंशका हो रही थी कि एडीबी संपोषित जलापूर्ति योजना को समय पर पूरा नहीं किया जा सकेगा. इस योजना का जहां 2021 तक काम पूरा कराना था, वहीं मार्च 2020 तक आधा काम पूरा करा देना था. पर दो महीने अधिक बीत जाने के बावजूद मई महीने तक पूरी तरह सभी इलाकों में पाइपलाइन तक नहीं बिछाया जा सका है. इस गर्मी में लोगों को एडीबी की योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा.

इसके बाद भी कई माह तक मिनी जलापूर्ति लगाने की योजना को लटकाया गया. अंत में गर्मी शुरू होने के बाद योजना में काम शुरू किया गया. कोरोना महामारी व लॉकडाउन के कारण योजना के काम में रफ्तार नहीं दी जा सकी है. एक माह से अधिक समय से धोबिया घाट जलापूर्ति केंद्र से वागेश्वरी इलाके के आधा दर्जन से अधिक मुहल्लों में पानी नहीं पहुंच रहा है. केवल पानी नहीं पहुंचने की समस्या ही नहीं है, बल्कि शहर में सैकड़ों जगहों पर पाइपलाइन में लीकेज भी है. इसके कारण लोगों के घरों तक पानी पहुंचने की बजाय बर्बाद भी हो रहा है. पार्षद बैठकों में इस मामले को उठाते हैं. अधिकारी बुडको को ठीक करने का निर्देश देते हैं. लेकिन, स्थिति में कोई सुधार नहीं होता. क्योंकि, निगम को सिर्फ अति आवश्यक होने पर ही जलापूर्ति में कोई काम करना है. बाकि कामों के लिए बुडको पर ही निर्भर रहना है. पहले किर्लोस्कर ने डुबोया, अब बुडको के काम का क्या होगा हाल! (इसे अलग से हाइलाइटर की तरह बाॅक्स में लगाना है)शहर के लोगों को पेयजल योजनाओं की भरमार होने के बाद भी संकट से निजात मिलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है.

2011 में किर्लोस्कर कंपनी को सरकार ने शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति व्यवस्था सुधारने के लिए करोड़ों रुपये की योजना पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी. किर्लोस्कर कंपनी ने खुद काम नहीं करके यहां स्थानीय छोटे-छोटे ठेकेदार को टुकड़ों में काम सौंप दिया. अंत में काम पूरा नहीं हुआ और कंपनी काे ब्लैकलिस्टेड करके कार्रवाई की खानापूर्ति कर ली गयी. कई वर्षों से किर्लोस्कर के अधूरे काम का दंश एपी कॉलोनी, रामपुर, गेवाल बिगहा, अशोक नगर, बैंक कॉलोनी व चिरैयांटांड़ आदि मुहल्ले के लोगों को झेलनी पड़ी. इस बार एडीबी संपोषित जलापूर्ति योजना को पूरा करने के लिए बुडको ने दो एजेंसियों को टेंडर के माध्यम से काम दिया है. शुरू से इनके काम की गति इतनी धीमी है कि लोगों को कई वर्षों तक काम पूरा नहीं होने का संदेह दिखने लगा है. कई बार बोर्ड की बैठक में भी पार्षद इस तरह की आशंका व्यक्त कर चुके हैं, क्योंकि किर्लोस्कर की तरह ही ठेकेदारी लेने वाली एजेंसी ने भी स्थानीय स्तर पर कई छोटे-छोटे ठेकेदारों को काम करने की जिम्मेदारी सौंप दी है.

गौरतलब है कि शहर में 447.78 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाना

  • – 16.54 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन

  • – पांच ओवरहेड सर्विस रिजर्वायर

  • – तीन ग्राउंड लेवल सर्विस रिजर्वायर(टंकी) व सात नये का जीर्णोद्धार

  • – 75 हजार हाउस सर्विस कनेक्शन, 200 स्टैंड पोस्ट लगाने का काम सितंबर 2021 तक पूरा करना है.

लोगों को परेशानी नहीं हो इसके लिए मिनी जलापूर्ति केंद्र

बुडको में काम की धीमी गति को देखते हुए नगर निगम की ओर से करीब 250 जगहों पर मिनी जलापूर्ति केंद्र लगाने का काम शुरू किया गया है, ताकि गर्मी के दिनों में लोगों को पेयजल संकट से नहीं जूझना पड़े. काेरोना महामारी के दौर व लॉकडाउन के कारण काम की कोई खास रफ्तार नहीं दिख रही है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि लोगों को इस योजना से भी गर्मी में कोई खास राहत नहीं मिलनेवाली है. ऐसे निगम के अधिकारी व जनप्रतिनिधि लगातार बैठक कर मिनी जलापूर्ति केंद्र के ठेकेदार पर दबाव बना रहे हैं कि काम को जल्द-से-जल्द पूरा करा लिया जाये.

महामारी के कारण सड़क पर नहीं उतर रहे लोगकई मुहल्लों में पेयजल संकट ने लोगों को परेशान कर रखा है. पिछले वर्ष पेयजल संकट को लेकर हर दिन लोग सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करते थे. लेकिन, इस बार कोरोना महामारी के कारण लोग सड़क पर उतरने में संकोच कर रहे हैं. निगम में अन्य जलस्रोतों की स्थिति निगम के चापाकल 800खराब चापाकल 215प्याऊ व स्टैंड पोस्ट 152खराब 42मिनी जलापूर्ति केंद्र 74खराब 15जलापूर्ति केंद्र 53 (लगभग)इन इलाकों में होता है पानी का संकट एपी काॅलोनी, चाणक्यपुरी काॅलोनी, रामपुर, गेवाल बिगहा, अशोक नगर, मुस्तफाबाद, बागेश्वरी व अन्य.

हीट वेव ने 2019 में ली थी 37 की जान

पिछले साल की हीट वेव की घटना याद आते ही शरीर सिहर जाता है. पिछले वर्ष 15 जून की दोपहर से ही मगध मेडिकल में हीट वेव से पीड़ित मरीजों की भीड़ मगध मेडिकल में लग गयी थी. मगध मेडिकल अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के जून में 37 लोगों की जान हीट वेव की चपेट में आने से गयी थी. स्थिति ऐसी हो गयी थी कि जिले में आपदा घोषित कर दी गयी. स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी गया पहुंच गये थे. इस वर्ष मई में अभी अधिकतम तापमान 45 डिग्री पहुंच गया है. दोपहर में बाहर निकलते ही शरीर जलने लग रहा है. पिछले वर्ष एकाएक आयी इस परेशानी से निबटने के लिए न ही लोग तैयार थे और न ही स्वास्थ्य विभाग की टीम. एकाएक आयी इस परेशानी में किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये. मगध मेडिकल से लेकर प्रखंड व अनुमंडल अस्पताल में इसकी चपेट में आये कई लोगों ने जान गंवायी. इसकी चपेट में आनेवाले लोगों का आंकड़ा महज अस्पताल पहुंचनेवालों का ही तैयार हो सका, घर व रास्ते में मृत हुए व्यक्तियों का लोगों ने अंतिम संस्कार कर दिया. इस बार भी मई से ही गर्मी की बढ़ती तपिश के कारण कई तरह की आशंका व्यक्त की जा रही है. इस बार हर जगह अस्पतालों में इससे निबटने की तैयारी पहले से की जा रही है.

फिलहाल कोरोना महामारी को लेकर पहले से ही अस्पतालों में भीड़ बढ़ी है. डॉक्टरों का कहना है कि हीट वेव की चपेट में नहीं आएं. इसके लिए खुद भी सावधान रहने की जरूरत है. मगध मेडिकल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के हेड ने बताया कि हीट वेव की संभावना को लेकर मगध मेडिकल में बेहतर तैयारी कर ली गयी है.लू से बचने के लिए कारगर सिद्ध होते हैं घरेलू नुस्खेलोग गर्मी के कारण हीट वेव का शिकार नहीं होते हैं. वही लोग इसकी चपेट में आते हैं जिनके शरीर के अंदर पानी व नमक की कमी हो जाती है. घर के अंदर भी रहनेवाले व्यक्ति के शरीर के अंदर पानी व नमक की कमी होने पर इसकी चपेट में आ सकते हैं.

घर हो या बाहर गर्मी के दिनों में शरीर में दोनों पदार्थों के मेंटेन रखने के लिए पेय पदार्थ जिसमें पानी व नमक की मात्रा हो जैसे छांछ, नींबू पानी, आमझोरा आदि लेते रहना चाहिए. इन सभी को लेते रहने से इसकी चपेट में आने की संभावना न के बराबर होती है. बाजार में बिकने वाले फ्रीज के पेय पदार्थ सिर्फ आत्मिक संतुष्टि देते हैं. शरीर की जरूरतों को पूरा नहीं करते हैं. घरेलू नुस्खे ही इससे बचाव में कारगर साबित होते हैं. हीट वेव से बचने के लिए बाहर भी जरूरत रहने पर ही निकलें. इसके बाद भी किसी को तेज बुखार आता है, तो तुरंत ही उस व्यक्ति को ठंडा पानी से नहलाना चाहिए, ठंड जगह पर रखना चाहिए. इसके बाद सरकारी हॉस्पिटल में संपर्क करें. धूप व लू से बचें, बाहर निकलते वक्त छाता का प्रयोग करें, जिनका सिंगल छत वाला घर है. वे अधिक पानी पीयें. जिन्हें पानी कम पीने व नमक कम खाने की आदत है वे लू की चपेट में आ सकते हैं.

डॉ पीके सिन्हा, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, मगध मेडिकल अस्पताल

बीते साल को सोच लगता है डर बीते साल जिले में हीट वेव के प्रचंड असर और उसकी वजह से हुई मौतों को याद कर लोग आज भी डर जाते हैं. शहर में बीते दो दिनों से बढ़ रहे तापमान ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है. शहर के लोग कहते हैं कि अभी से जो हालात दिख रहे हैं, उसमें और भी डर लग रहा है. एक तो पहले से ही कोरोना की वजह से जीवन पर संकट बना है और अब हीट वेव ने और मुश्किलें बढ़ा दी हैं. मौसम ऐसी चीज है कि जिस पर किसी का नियंत्रण भी नहीं है. ऐसे में लोग ईश्वर से ही प्रार्थना कर रहे हैं कि उन्हें राहत मिले.

घर से बाहर निकलने में भी डर लगने लगा है.गर्म हवा मानों शरीर में प्रवेश कर जायेगी. ऐसी स्थिति पिछले साल भी हुई थी.

अशोक गुप्ता –

एक तो कोरोना के डर ने पहले से ही परेशान कर रखा है. अब बढ़ते तापमान ने भी तंग करना शुरू कर दिया है. पता नहीं क्या होगा.

मनीष देओल –

ऐसा लग रहा है कि जीवन ही चुनौती बन गया है. प्रकृति नये-नये तरीके से हिसाब ले रही है. प्रचंड गर्मी से सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया है.

जयदीप मित्रा –

हमें अपना बचाव खुद करना होगा. यही एक उपाय है. प्रकृति की मार को रोक पाना इंसानों के बस की बात नहीं है. बचाव ही उपाय है.

टिंकु गोस्वामी

45 डिग्री तक पहुंचा जिले का तापमान गर्मी व तापमान ने पिछले चार वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. सोमवार को गया राज्य में सबसे गर्म रहा. मई महीने में वर्ष 2015 में 24 मई को 45.7 डिग्री तापमान रहा था. पांच वर्ष बाद सोमवार को पुन: गया का अधिकतम तापमान 45.7 डिग्री व न्यूनतम तापमान 28.5 डिग्री सेल्सियस रहा.

राज्य के प्रमुख शहरों का तापमान

शहर-अधिकतम-न्यूनतम

  • गया-45.7-28.5

  • पटना-40.2-29.0

  • भागलपुर-40.0-28.6

  • मुजफ्फरपुर-40.0-27.2

  • पूर्णिया-34.9-22.0

  • छपरा-40.0-28.6

अगले कुछ दिनों में गया का संभावित तापमान

तारीख®अधिकतम तापमान (डिग्री सेल्सियस में)

  • 26 मई-45

  • 27 मई-44

  • 28 मई-43

  • 29 मई-42

  • 30 मई-40

  • 31 मई-41

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